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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 दिसंबर को IIT कानपुर के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करेंगे. पीएम मोदी ने IIT कानपुर में अपने संबोधन के लिए ट्विटर पर जानकारी साझा करते हुए सुझाव आमंत्रित किए थे. IIT कानपुर की सफलता की कई कहानियां ऐसी हैं, जिन्होंने भारत ही नहीं, विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है. IIT कानपुर के छात्रों के शुरू किए हुए कई स्टार्टअप ऐसे हैं जिन्होंने मेड इन इंडिया और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संदेश दिया है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ स्टार्टअप के बारे में -
स्टार्टअप : LCB Fertilizers
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार छात्रों से ऑनलाइन संवाद में ये बात कही कि नौकरी करने की जगह दूसरों को रोजगार देने के बारे में सोचें युवा. यूपी के कुशीनगर के एक छात्र को ये बात ताउम्र के लिए याद रह गई. उस समय गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे किसान परिवार के बेटे अक्षय श्रीवास्तव ने इसी तरफ सोचना शुरू किया. दिन-रात की मेहनत के बाद योजना बनाई एक ऐसे स्टार्टअप की जो खेतों में बिना किसी रासायनिक खाद का इस्तेमाल किए फसल को बेहतर बना सकता था. इस बीच लॉकडाउन लग गया पर हार मानने की जगह अक्षय और उनके दोस्त मुकेश चौहान ने इसकी और ज्यादा तैयारी करनी शुरू की. उसके बाद सामने आया एक ऐसा स्टार्टअप जिसने किसानों के काम को बहुत आसान बना दिया.
अक्षय कहते हैं, 'मैंने सोचा अगर सौ-डेढ़ सौ साल पहले खेती होती थी तो उस समय खाद तो नहीं थी. फिर ऐसी क्या तकनीक थी.’ इसका जवाब उनका अपना प्रोडक्ट है. LCB फर्टिलाइजर एक प्रोडक्ट है जो micro organism (माइक्रो ऑर्गनिज्म) पर काम करता है. इसे नैनो पार्टिकल्स का इस्तेमाल करके बनाया गया हैं. ख़ास बात ये है कि जिस पराली को लेकर सबसे ज़्यादा चिंता व्यक्त की जाती है उसका इस्तेमाल इस फर्टिलाइजर को बनाने में किया गया है.'
आज अक्षय और मुकेश के पास किसानों की इतनी मांग आती है कि वे इसको पूरा नहीं कर पाते. उन्होंने अपने स्टार्टअप के जरिए रोजगार देने के लिए अपना कारखाना अपने जिला कुशीनगर में ही लगाया है जिससे वहां के युवाओं को रोजगार मिल सके.
स्टार्टअप: Sabzi Kothi
बिहार के भागलपुर के छोटे से गांव के इस युवा ने अपने अभिनव सोच से भारत ही नहीं दुनिया भर में लोहा मनवाया है. भागलपुर के गांव से IIT और यूरोप तक का सफर तय करने वाले निकी कुमार झा को आज तकनीकी क्षेत्र के लोग ‘सब्ज़ी कोठी’ (sabzi kothi) के निर्माता के नाम से भी जानते हैं. सब्ज़ी कोठी एक ऐसा कोल्ड स्टोरेज है जिसे किसान अपने घर में, खेत में, छत पर, कहीं भी लगा सकता है. इसे टेम्पो, ट्रॉली, रिक्शा किसी भी माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है.
इस समय निकी कुमार झा IIT कानपुर से PhD कर रहे हैं. उनका कहना है कि ‘किसानों की आय तब तक दोगुनी नहीं की जा सकती जब तक किसानों की उपज खराब होती रहे. किसानों की आधी सब्जी और फल खेतों में या फिर बाजार पहुंचने के दौरान ही सड़ जाते हैं. उनका वजन कम हो जाता है. इसमें सब्जी कोठी ऐसा समाधान है जो देश में किसी भी भौगोलिक परिस्थिति और किसी भी तापमान में काम करता है. ’
अगर लागत की बात करें तो सब्ज़ी कोठी में सिर्फ़ 20 वॉट की बिजली का खर्च आता है और सिर्फ़ एक लीटर पानी लगता है. इसे बहुत छोटी बैटरी से भी चार्ज किया का सकता है. निकी झा की वेबसाइट saptkrishi.com से इसे ऑर्डर किया जा सकता है. निकी कुमार झा चाहते हैं कि सब्जी कोठी की पहुंच ज़्यादा से ज़्यादा छोटे किसानों तक हो, इसके लिए सरकार अगर इस पर सब्सिडी दे तो इसका दाम आधा हो जाएगा. हालांक, अब भी ये सिर्फ़ 10 हज़ार रुपए में किसानों को मिल सकता है.
IIT कानपुर के इंक्यूबेशन सेंटर में बना ये स्टार्टअप इसलिए भी ख़ास है क्योंकि इसे पर्यावरण के लिए बहुत कारगर माना गया है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर (world wildlife fund for nature ) ने निकी झा को इस सब्जी कोठी के लिए climate solver India का खिताब दिया है। यानी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसको मान्यता मिल चुकी है.
स्टार्टअप: SWASA Mask
IIT कानपुर के पूर्व छात्र डॉ संदीप पाटिल का स्टार्टअप स्वसा मास्क (Swasa Mask) शुरू तो 2017-18 में हुआ था पर सिर्फ़ डेढ़ साल में दुनिया भर में छा गया. विदेशों के मास्क बनाने की तकनीक को आत्मनिर्भर भारत ने न सिर्फ़ चुनौती दी, बल्कि अपना लोहा मनवाया है. दुबई एक्सपो जैसे आयोजनों में भी चर्चा का विषय रहा. राम जन्मभूमि के भूमि पूजन के मौके पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मास्क को लगाए दिखे तो इस पर लोगों का भरोसा और बढ़ा. संसद सत्र के दौरान सांसदों, कई राज्य सरकारों, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां,AIIMS जैसी संस्था से जुड़े डॉक्टर्स भी इसे लगा रहे हैं.
डॉ संदीप पाटिल इसकी तकनीकी बारीकियों को बताते हुए कहते हैं कि स्वसा मास्क (Swasa Mask) सिर्फ़ पार्टिकल्स को ही नहीं 99% बैक्टीरिया और वायरस को रोकता है. इसकी बनावट और तकनीक ही ऐसी है. इसमें नैनो फाइबर की बहुत पतली कोटिंग होती है. जो आप आँखों से नहीं देख सकते इसमें ऐसे नैनो पार्टिकल्स भी डाले जाते हैं. इससे ये मास्क दोहरी सुरक्षा देता है. इसकी उत्कृष्टता को अमेरिका की नेलसन लैब ने प्रमाणित भी किया है.
दरअसल, संदीप पाटिल ने IIT कानपुर से पढ़ाई करने के बाद यहीं पर PhD करने के दौरान 2010 में ही nanotech कम्पनी बनाई थी। sandeep Patil के शोध का विषय Nano Fibre technology थी इसलिए 2017-18 में संदीप ने anti-pollution Swasa Mask बनाने की शुरुआत की जिससे लोगों को रोजगार भी दिया जा सके. IIT कानपुर के कैम्पस के पास ही इसी दौरान एक यूनिट लगायी गयी जो आज दिन में 30 हज़ार स्वसा मास्क (Swasa Mask) का उत्पादन करती है. इसमें काम करने वाली ज्यादातर कर्मचारी महिलाएं हैं. डॉ संदीप पाटिल के इस स्टार्ट अप से न सिर्फ़ लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा हो रही है बल्कि जरूरतमंद महिलाएं आत्मनिर्भर भी हुई हैं.