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IIT में इंजीनियरिंग के साथ संस्कृत-समुद्री परंपरा भी पढ़ेंगे छात्र, इतनी बदल जाएगी पढ़ाई

आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर ने SIKSA सेंटर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह सेंटर रिसर्च और डेवलेपमेंट के लिए एक मंच प्रदान करेगा, और हमें उम्मीद है कि हम आईआईटी कानपुर को वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान प्रणाली के अध्ययन के लिए एक अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित करेंगे.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर में अब इंजीनियरिंग के साथ भारतीय गणित, भारतीय मनोविज्ञान, भारतीय रसायन विज्ञान, पदार्थ विज्ञान और धातु विज्ञान, भारतीय वास्तुकला और वास्तु शास्त्र, प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान, पशु आयुर्वेद, योग और भारत की सतत समुद्री परंपरा का विकास को पढ़ाया जाएगा. आईआईटी कानपुर ने हाल ही में भारतीय ज्ञान प्रणाली (Indian Knowledge System या IKS) के लिए SIKSA रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया था.

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आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर ने SIKSA सेंटर के बारे में जानकारी देते हुए कहा है, “समग्र उन्नति के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली के सिक्सा (SIKSA) अध्ययन केंद्र के माध्यम से, हमारा लक्ष्य भारत की विशाल ज्ञान प्रणाली को अपने शैक्षणिक पाठ्यक्रम और अनुसंधान में एकीकृत करना और इसे दुनिया के लिए असाना बनाना है. यह सेंटर रिसर्च और डेवलेपमेंट के लिए एक मंच प्रदान करेगा, और हमें उम्मीद है कि हम आईआईटी कानपुर को वैश्विक स्तर पर आईकेएस अध्ययन के लिए एक अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित करेंगे."

आईआईटी कानपुर SIKSA सेंटर का उद्देश्य
12 से अधिक विभाग और लगभग 20 फैकल्टी मेंबर SIKSA सेंटर का हिस्सा हैं, जो आईआईटी कानपुर को दुनिया में आईकेएस अध्ययन में सबसे आगे ले जाएगा. अपने भाषण में प्रो. करंदीकर ने इसके बारे में बताया कि इस केंद्र का लक्ष्य आईकेएस में एक अकादमिक कार्यक्रम शुरू करना और क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा करना है. केंद्र स्वास्थ्य और कल्याण, गणित और खगोल विज्ञान, संस्कृत और भाषाई अध्ययन, चेतना अध्ययन, पुरातत्व-धातु विज्ञान और सामग्री, दर्शन, ध्वनिकी और संगीत, और जल प्रबंधन प्रणाली सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करेगा.

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भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) के बारे में
भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) में गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, वास्तुकला, दर्शन, कला, भाषाएं, साहित्य, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रथाएं, परंपराएं आदि भारत में विकसित ज्ञान को शामिल करता है. ऐतिहासिक रूप से, आईकेएस के पास ज्ञान उत्पन्न करने, मान्य करने और प्रचार करने के लिए अपना स्वयं का निगम, तरीके और मानदंड हैं.

भारत सरकार ने विभिन्न भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) विषयों पर क्यूरेटेड सामग्री वीडियो और समर्थन सामग्री विकसित करने के लिए आईआईटी कानपुर, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी बीएचयू वाराणसी, आर्यभट्ट कॉलेज (डीयू) और ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे समेत देशभर से 17 केंद्रों का चयन किया. इन संस्थानों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है.

 


 

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