इंडिया ब्लॉक राजनीतिक दलों से जुड़े सोलह छात्र संगठनों ने नई शिक्षा नीति, शिक्षा के निजीकरण और व्यावसायीकरण के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. भारत के कोने-कोने से छात्र इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. इन छात्र संगठनों ने अपने गठबंधन का नाम यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ INDIA रखा है.
गठबंधन में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI), छात्र युवा संघर्ष समिति (CYSS), शामिल है. आम आदमी पार्टी (आप) की छात्र शाखा और अन्य आदिवासी और द्रविड़ छात्र राजनीतिक दल ने हिस्सा लिया.
इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए, SFI नेता और JNUSU अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा पर खर्च किया गया धन पर्याप्त नहीं है. सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं. कॉलेजों की हालत ख़राब है और शैक्षणिक स्थिति ख़राब हो रही है.
आइशी ने कहा कि महामारी ने छात्रों के लिए सबसे खराब स्थिति ला दी और इससे वित्तीय सहायता में कमी आई है. यह विरोध भारत की छात्र विरोधी नीति के खिलाफ है. विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र इस विरोध प्रदर्शन में साथ आए.
कई लोग भारत के झंडे के साथ अपने-अपने संगठनों के झंडे पकड़े हुए थे. पहले यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया ने संसद की ओर मार्च की योजना बनाई थी लेकिन बाद में विरोध प्रदर्शन के लिए जंतर मंतर को चुना गया. विरोध प्रदर्शन में द्रमुक, रालोद, राजद, जदयू और सपा जैसे क्षेत्रीय दलों के छात्र बड़ी संख्या में मौजूद थे.