भारतीय बांसुरी कलाकार और संगीत नाटक अकादमी के वरिष्ठ पुरस्कार विजेता पंडित शशांक सुब्रमण्यम को फ्रांस की सरकार ने प्रतिष्ठित फ्रेंच नाइटहुड (Chevalier de l'Ordre des Arts et des Lettres) की उपाधि से सम्मानित करने का फैसला किया है. फ्रांस सरकार जल्द ही पंडित शशांक सुब्रमण्यम को आधिकारिक रूप से यह अवॉर्ड देगी.
फ्रेंच नाइटहुड / शेवेलियर डी ल'ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस फ्रांस का एक राष्ट्रीय पुरस्कार है. भारतीय संगीत और बांसुरी में पंडित शशांक सुब्रमण्यम का 35 साल का करियर है. जिसकी वजह से फ्रांस की सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया है. उनसे पहले भारत के कई भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली के कुछ उस्तादों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें विशंकर, लता मंगेशकर, हरिप्रसाद चौरसिया, डॉ. एम. बालमुरलीकृष्ण समेत कई दिग्गज कलाकार शामिल हैं.
भारतीय शास्त्रीय संगीत में माहिर और बांसुरी कलाकार शशांक सुब्रमण्यम का जन्म 14 अक्टूबर 1978 को कर्नाटक के एक गांव रुद्रपटना में हुआ था. उन्होंने 1984 में 6 साल की उम्र से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था और तीन दशकों से अधिक समय तक परफॉर्म किया है. उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.
शशांक सुब्रमण्यम को साल 2009 के लिए गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन के साथ सीडी एल्बम के लिए ग्रेमी नामांकन हुआ था, संगीत नाटक अकादमी द्वारा वर्ष 2017 के लिए भारत सरकार का वरिष्ठ पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया, 1995 और 1997 में रोटरी क्लब उत्कृष्टता पुरस्कार, 1993 में 14 वर्ष की आयु में ऑल इंडिया रेडियो और टीवी में सीधे ए ग्रेड रैंकिंग समेत कई पुरस्कार शामिल हैं.