scorecardresearch
 

भारत के इस टीचर को मिला 7 करोड़ का अवार्ड, कभी तबेले-गोदाम के बीच पढ़ाते थे

जिस स्कूल में उन्होंने शुरुआत में पढ़ाया, वह मवेशियों के शेड और एक गोदाम के बीच बनी जर्जर इमारत में था. वहां पढ़ने वाली अधिकांश लड़कियां आदिवासी समुदायों से थीं. समाज के उस हिस्‍से में लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी और बाल विवाह एक आम प्रथा थी.

Advertisement
X
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रंजीत सिंह पुरस्कार राशि का 50% हिस्‍सा दान देंगे
  • डिसाले का स्कूल महाराष्ट्र राज्य में क्यूआर कोडेेेड पुस्‍तकों वाला पहला स्‍कूल हैै

Global Teacher Prize 2020: लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत के एक प्राइमरी स्‍कूल टीचर रंजीत सिंह डिस्‍‍ले को 1 मिलियन US डॉलर यानि 7 करोड़ भारतीय रुपए के ईनाम के ग्लोबल टीचर प्राइज अवार्ड से सम्‍मानित किया गया है. महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के परितेवाडी गांव के 32 वर्षीय रंजीत सिंह ने सम्‍मान पाने पर, जीती हुई राशि को अपने साथ फाइनल्‍स में पहुंचे बाकी 9 प्रतियोगियों के साथ बांटने की घोषणा की है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का गौरव बढ़ाने वाले रंजीत सिंह के संघर्ष की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है. 

Advertisement

रंजीत सिंह एक IT इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन इंजीनियरिंग कॉलेज पहुंचने के बाद उन्‍हें एहसास हुआ कि शायद वे गलत रास्‍ते पर हैं. उनके पिता ने उन्‍हें टीचिंग ट्रेनिंग करने का सुझाव दिया. रंजीत संकोच के साथ, शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय गए और वहां पहुंचकर उनके जीवन को नई दिशा मिली. उन्होंने देखा कि शिक्षक दुनिया में वास्तविक बदलाव लाते हैं, और उन्‍होंने स्‍वयं एक टीचर बनने का फैसला कर लिया. 

देखें: आजतक LIVE TV

जिस स्कूल में उन्होंने शुरूआत में पढ़ाया, वह मवेशियों के शेड और एक गोदाम के बीच बनी जर्जर इमारत में था. वहां पढ़ने वाली अधिकांश लड़कियां आदिवासी समुदायों से थीं. समाज के उस हिस्‍से में लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी और बाल विवाह एक आम प्रथा थी. इसके अतिरिक्त, छात्रों की पढ़ाई की प्राथमिक भाषा कन्नड़ नहीं थी, जिसका अर्थ था कि कई छात्र पढ़ने में असहज थे. काफी प्रयास के बाद, रंजीत ने स्‍वयं कन्नड़ सीखी और छात्रों के लिए ग्रेड 1-4 तक की सभी किताबों को फिर से डिज़ाइन किया. इन किताबों को उन्‍होंने यूनीक QR कोड के साथ डिज़ाइन किया जिससे ऑडियो कविताओं, वीडियो लेक्चर, कहानियों और असाइनमेंट्स को एम्बेड किया जा सके. इन क्यूआर कोडित किताबों की मदद से कई लड़कियों ने ऐसे समय में पढ़ाई जारी रखी जब एक आतंकवादी हमले के कारण स्कूल दो महीने के लिए बंद कर दिए गए थे.

Advertisement

उनके प्रयासों के फलस्‍वरूप, 2016 में उनके स्कूल को जिले के सर्वश्रेष्ठ स्कूल से तौर पर सम्मानित किया गया जहां 98 प्रतिशत छात्रों ने स्कूल का सेशन पूरा करने से पहले ही अपनी लर्निंग पूरी कर ली थी. माइक्रोसॉफ्ट के CEO, सत्य नडेला ने रंजीत सिंह के काम को उनकी पुस्तक 'हिट रिफ्रेश' में भारत की तीन सर्वश्रेष्‍ठ कहानियों में से एक के रूप में चुना. केंद्र सरकार ने रंजीत सिंह को '2016 इनोवेटिव रिसर्चर ऑफ द ईयर' का सम्‍मान दिया और उन्होंने 2018 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के 'इनोवेटर ऑफ द ईयर' का पुरस्कार भी जीता. 

रंजीत सिंह ने शैक्षिक विषयों पर 500 से अधिक अखबार लेख और ब्लॉग लिखकर, टेलीविजन चर्चाओं में भाग लेकर अपने तरीकों को साझा किया. उन्‍होंने यह घोषणा की कि 'ग्लोबल टीचर प्राइज' जीतने पर वह अपने अतिरिक्‍त अन्‍य 9 फाइनलिस्‍ट्स के साथ अपनी 50 फीसदी प्राइज मनी शेयर करना चाहेंगे. उनके इस कदम की तारीफ करते हुए UNESCO की असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर जनरल फॉर एजुकेशन स्‍टेफनी जियानिनी ने कहा, "रंजीत सिंह जैसे शिक्षक ही अधिक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करेंगे. रंजीत असमानताओं को खत्म करेंगे और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाएंगे." इसके अलावा पुरस्कार के संस्थापक सनी वार्की ने कहा, "पुरस्कार राशि साझा करके, आप दुनिया को देने का महत्व सिखा रहे हैं."

Advertisement

रंजीत सिंह ने इस ओर भी पहल शुरू की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर साल दुनिया के युद्ध पीड़ित देशों के कम से कम 5,000 छात्रों को एक शांति सेना में भर्ती किया जाए. पुरस्कार में जीता राशि की मदद से रंजीत स्कूलों और छात्रों की ज्‍यादा से ज्‍यादा सामर्थ्‍य तक मदद करने का इरादा रखते हैं. 

Advertisement
Advertisement