'जय भीम' फिल्म से प्रेरित होकर आईआईटी मद्रास की एक छात्रा ने यौन शोषण करने वाले साथी स्कॉलर और 7 अन्य छात्रों के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की है. छात्रा ने आरोपियों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज कराई है जिसमें साथी स्कॉलर समेत सात अन्य लोगों के खिलाफ कार्यस्थल पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है.
छात्रा ने शिकायत में शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न करने, थीसिस के लिए लैब के उपकरणों के इस्तेमाल से रोकने के भी आरोप लगाए हैं. पीड़िता ने बताया कि मातृभाषा एक होने के चलते वे शुरुआत में वह साथी छात्र के साथ काफी सहज थी लेकिन बाद में उसने इसका फायदा उठाया और यौन शोषण किया.
शुरुआत में पीड़िता चुप रही लेकिन बाद में उन्हें थीसिस के लिए उपयोग होने वाले उपकरणों को इस्तेमाल करने से रोका गया. जिससे परेशान होकर उन्होंने शिकायत करने का साहस जुटाया. एफ़आईआर में पीड़िता ने बताया कि मुद्दे को सुलझाने के बहाने आरोपी ने उसको एक रात लैब में बुलाया और उनका यौन शोषण किया. उसने अश्लील तस्वीरें भी लीं और ब्लैकमेल करने लगा.
लगभग चार साल तक यातना झेलने के बाद पीड़िता ने आत्महत्या करने की कोशिश की. लेकिन उसके दोस्तों ने बचा लिया. पीड़िता को परिवार से भी सपोर्ट नहीं मिला. जिसके बाद उसने संस्थान के अधिकारियों से शिकायत करने का फैसला किया. शिकायत के बाद एक आंतरिक समिति का गठन किया गया.
आंतरिक समिति ने अपनी जांच में पाया कि आरोपी ने दो बार यौन शोषण किया है. समिति के यह भी बताया कि आरोपी का उसके 3 दोस्तों ने भी साथ दिया था. अपनी रिपोर्ट में समिति ने मुख्य आरोपी समेत अन्य तीन आरोपियों को स्कॉलरों को तब तक परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया, जब तक कि पीड़िता अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर लेती.
हालांकि, महामारी के कारण, कक्षाएं ऑनलाइन हो गईं और आरोपियों पीड़िता के साथ ऑनलाइन क्लास में शामिल होने लगे, जिससे पीड़िता काफी धक्का पहुूंचा.
इसी बीच पीड़िता और उसके दोस्तों ने जय भीम फिल्म देखी और जिससे उन्हें प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने जस्टिस चंद्रू से संपर्क किया. जस्टिस चंद्रू ने उन्हें ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेंस एसोसिएशन (AIDWA)की राज्य महासचिव सुगंती के पास भेजा . एफआआईर दर्ज होने के बाद तमिलनाडु पुलिस की विशेष टीम ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
इससे पहले 29 मार्च 2021 को मायलापुर ऑल वूमेन पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज की गई थी. लेकिन एफआईआर में केवल धारा 354, 354बी, 354सी और 506 (1) को शामिल किया गया था. यौन शोषण के आरोपों को एफ़आईआर में छोड़ दिया गया था. इसके अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार निवारण के तहत भी कोई आरोप दायर नहीं किया था. लेकिन AIDWA के पास केस आने के बाद, इन बातों पर ध्यान दिया गया और आरोपी की गिरफ्तारी हुई.
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