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स्कूलों में CPR पढ़ाने की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बच्चों का सिलेबस क्या हो, यह तय करना सरकार का काम

हार्ट अटैक से जान बचाने में कारगर CPR तकनीक को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार किया. CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यह कहा.

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सुप्रीम कोर्ट (File Photo)
सुप्रीम कोर्ट (File Photo)

स्कूली बच्चों को हार्ट अटैक से जान बचाने में कारगर CPR तकनीक को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. सुनवाई के दौरान CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में की गई मांग सरकार के नीतिगत मसलों के तहत आती है.

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सरकार को तय करना है कि स्कूली बच्चों का पाठ्यक्रम क्या हो. ऐसी अनगिनत चीज़े हो सकती हैं जिनकी जानकारी बच्चों को पढ़ाई के दौरान ही होनी चाहिए पर कोर्ट अपनी ओर से उन सब को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश नहीं दे सकता. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस बाबत आप चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं. 

सीपीआर सिखाने की मांग करने वाली याचिका पर याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि हाल के समय में हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों में बच्चों को हृदय रोग संबंधी शिक्षा दी जानी चाहिए. आपातकालीन स्थिति में CPR के जरिए मरीज की सहायता कैसे की जाए, इसकी भी मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सीजेआई ने कहा कि बच्चे क्या पढ़ें, यह हम तय नहीं कर सकते.

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बीते कुछ महीनों से ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं जिसमें स्कूली बच्चे भी हार्ट अटैक के शिकार हुए हैं. इसी साल पिछले सितंबर माह में लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल में नौवीं कक्षा के एक छात्र की अचानक मौत हो गई थी. उस छात्र की मौत को भी हार्ट अटैक से मौत माना गया था. इसी तरह अक्टूबर के महीने में राजस्थान के बीकानेर में एक मासूम की देखते ही देखते तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई. इस तरह के कई और मामले देखे गए हैं.

हार्ट अटैक की शुरुआती चरण में ऐसा पाया गया है कि सीपीआर तकनीक काफी फायदेमंद साबित हुई है. सीपीआर से ब्लड सर्कुलेशन में मदद मिलती है. इस विधि का अच्छी तरह से उपयोग करने पर मरीज की जान खतरे से बाहर आ जाती है. सीपीआर दिल की धड़कन रुकने से छह मिनट के भीतर ही करना होता है.

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