झारखंड के नियोजन नीति और 13 अनुसूचित जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि फिर से मेरिट लिस्ट जारी की जाए. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि जो मेरिट लिस्ट डिस्ट्रिक्ट लेवल पर है वह राज्य स्तर पर बननी चाहिए. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार और अनुसूचित जिलों के सफल अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
इस मामले में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की कोर्ट ने फैसला सुनाया. झारखंड सरकार ने वर्ष 2016 में तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति के लिए नियोजन नीति बनाई थी. इसमें अनुसूचित जिलों की नौकरी में सिर्फ उसी जिले के निवासियों को ही नियुक्त करने का प्रावधान किया गया था. गैर-अनुसूचित जिले के लोग इसमें आवेदन भी नहीं कर सकते थे, जबकि गैर अनुसूचित जिले में सभी जिलों के लोग आवेदन कर सकते थे.
सरकार ने 10 साल के लिए यह प्रावधान किया था. सरकार की इस नीति को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया था कि सरकार की यह नियोजन नीति सही नहीं है और यह समानता के अधिकार का हनन है. सरकार के इस फैसले से किसी खास जिले के लोगों के लिए ही सारे पद आरक्षित हो गए हैं.
संविधान के अनुसार, किसी भी पद को शत-प्रतिशत आरक्षित नहीं किया जा सकता है. सरकार की इस नीति से इस राज्य के लोगों को ही अपने राज्य में नौकरी के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है. हाईकोर्ट ने 21 सितंबर 2020 को राज्य की नियोजन नीति को रद्द कर दिया था जिसके बाद झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.