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बिहार में मांझी बने प्रोटेम स्पीकर, जानें-कैसे होता है चयन, क्या होती हैं शक्तियां

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को गुरुवार को बिहार विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर चुना गया. राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन में मांझी को प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई, जानें क्या होती हैं इस पद की शक्त‍ियां.

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Jitan Ram Manjhi taking Oath as a protem speaker in Bihar
Jitan Ram Manjhi taking Oath as a protem speaker in Bihar

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को राज्यपाल फागू चौहान ने इमामगंज से विधायक जीतन राम मांझी को विधानसभा के अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई. उन्हें 23 से 24 नवंबर तक के लिए अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त किया गया है.

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कैसे चुने जाते हैं प्रोटेम स्पीकर

इस पद पर किसी सदस्य के चयन के लिए विधानसभा में बहुमत परीक्षण के लिए प्रदेश के राज्यपाल संक्षिप्त सत्र बुलाते हैं. यहां एक तय प्रक्र‍िया के जरिये प्रोटेम स्पीकर यानी सामयिक अध्यक्ष की नियुक्ति होती है. इसके लिए सदन में इस पद पर बहुमत साबित किया जाता है. फिर प्रोटेम स्पीकर पर चुने गए विधायकों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी होती है. बता दें कि सत्तारूढ़ दल ही विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति करता है.
 
संविधान में क्या है 
संविधान के अनुच्छेद 180 (1) में राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) नियुक्त करने की शक्ति दी गई है. इस अनुच्छेद के अनुसार जब अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो जाती है और पद भरने के लिए कोई उपसभापति नहीं होता है, तो कार्यालय के कर्तव्यों को विधानसभा के ऐसे सदस्य द्वारा निष्पादित किया जाता है जिसे राज्यपाल नियुक्त करता है. 

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क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर उन्हें कहा जाता है, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं. ये एक तरह से कार्यवाहक और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर कहलाते हैं. लोकसभा अथवा विधानसभाओं में इनका चुनाव बेहद कम समय के लिए होता है. 

आमतौर पर सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है. लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के ठीक बाद अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले अस्थायी तौर पर वे सदन के संचालन से संबंधित दायित्वों का निर्वहन करते हैं. प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें. अब प्रोटेम स्पीकर के रूप में मांझी नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में सदन की सदस्यता की शपथ दिलाएंगे. 

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