जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) इस साल अपना दीक्षांत समारोह वर्चुअली मनाएगा. इसका आयोजन 30 सितंबर को किया जाएगा. जेएनयू के 5वें दीक्षांत समारोह के लिए पंजीकरण शुरू हो गया है. जेएनयू के वेबपेज jnu.ac.in/convolution पर इसके लिए पंजीकरण किया जा सकता है. दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.
जेएनयू के चांसलर डॉ वीके सारस्वत के मुख्य अतिथि के रूप में लगभग 46 वर्षों के अंतराल के बाद 2018 में ये प्रथा फिर से शुरू हुई थी. फिर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू तीसरे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे, जिसमें छात्रावास शुल्क वृद्धि को लेकर छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया, जिससे तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' को छह घंटे से अधिक समय तक कार्यक्रम स्थल के अंदर रहना पड़ा. वहीं पिछले साल राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के साथ इस अवसर पर कोविड-19 महामारी के कारण दीक्षांत समारोह ऑनलाइन आयोजित किया गया था.
जेएनयू में दीक्षांत समारोह दोबारा मनाने की परंपरा हालांकि चार साल पहले 2018 से ही शुरू हुई है. इससे पहले जेएनयू में पहला और आखिरी बार दीक्षांत समारोह 49 साल पहले 1972 में आयोजित कराया गया था. इस दीक्षांत समारोह में प्रख्यात फिल्म और थिएटर कलाकार बलराज साहनी को आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने प्रेरक भाषण दिया था.
फिर दोबारा इसलिए नहीं हुआ दीक्षांत समारोह
द हिंदू के अनुसार, पहले दीक्षांत समारोह को कई छात्रों ने शिक्षा नीति के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का जरिया बनाया. उन्होंने विरोध करते हुए अपनी डिग्री जलाने, समारोह का बहिष्कार और कई अन्य चीजें करने की धमकी की. छात्र नहीं चाहते थे कि यहां किसी मंत्री को बुलाया जाए.
उस दीक्षांत समारोह के लिए वाइस चांसलर ने यह सुनिश्चित किया कि कैंपस में मंत्री या किसी मेहमान को नहीं बुलाया जाना चाहिए. लेकिन अभिनेता बलराज साहनी को बतौर मेहमान बुलाया गया. छात्रों ने कहा कि अगर मेहमान बोलते हैं तो छात्र संघ का अध्यक्ष भी भाषण देगा.
काफी बातचीत के बाद वाइस चांसलर इस पर सहमत हुए कि छात्र संघ का अध्यक्ष भी भाषण दे सकता है, लेकिन उसने अपना भाषण डीन से पास कराना होगा. लेकिन छात्र संघ के अध्यक्ष ने वो भाषण बदल दिया और अपने मन से भाषण दिया. इस घटना के बाद फिर से इस यूनिवर्सिटी में कोई दीक्षांत समारोह नहीं कराया गया.