साल 2018 में लाइब्रेरी में हुए प्रदर्शन के मामले में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी प्रशासन (JNU) प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत अन्य छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. जेएनयू ने इसे अनुशासनहीनता और कदाचार का मामला बताते हुए सभी छात्रों से 21 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा है.
नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए घोष ने समाचार एजेंसी PTI से कहा कि कोविड महामारी के कारण कई प्रशासनिक कार्यालयों को बंद करने के बावजूद यूनिवर्सिटी के मुख्य प्रॉक्टर का कार्यालय छात्रों को डराने और दंडित करने के लिए नियमित रूप से काम कर रहा है. घोष को 11 जून को जारी नोटिस में कहा गया है कि वह 5 दिसंबर को बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) की बैठक में "व्यवधान में शामिल" पाई गई थीं. यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर रजनीश कुमार मिश्रा ने इस बात की पुष्टि की है.
लाइब्रेरी की घटना के लगभग तीन साल बात नोटिस जारी करने के सवाल पर प्रशासन ने कहा कि इन छात्रों ने लंबे समय तक फीस वृद्धि के मुद्दे पर यूनिवर्सिटी को जाम कर दिया था और फिर बीच-बीच में हंगामा होता रहा. साल 2020 में महामारी का वक्त शुरू हो गया था, इसलिए हमने कार्रवाई अब शुरू की है.
21 जून शाम 5 बजे तक का समय
नोटिस में कहा गया है कि इस तरह की गतिविधि प्रकृति में खतरनाक है और यूनिवर्सिटी के संविधि 25 की श्रेणी के अंतर्गत हर वो गतिविधि आती है जो जो हिंसा से जुड़ी है, वो सभी कार्य और सभी प्रकार के जबरदस्ती जैसे घेराव, सिट-इन या उसी का कोई भी बदलाव जो सामान्य शैक्षणिक और प्रशासनिक काम को बाधित करता है.
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आइशी घोष से 21 जून को शाम पांच बजे तक कारण बताओ नोटिस का जवाब देने को कहा गया है. नोटिस के अनुसार उनके जवाब नहीं देने की स्थिति में यह माना जाएगा कि उनके पास अपने बचाव में कहने के लिए कुछ नहीं है. ऐसी स्थिति में विवि प्रशासन आवश्यक कार्रवाई करेगा.
जेएनयू प्रशासन का कहना है कि पांच दिसंबर 2018 को स्कूल आफ सोशल साइंस के बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक के दौरान प्रदर्शन किए गए थे. इससे प्रशासनिक बैठक भी बाधित हुई थी. बता दें कि सेंट्रल लाइब्रेरी की घटना में काफी तोड़फोड़ और हिंसक गतिविधि सामने आई थी, इस घटना में आइशी घोष समेत कई छात्रों के घायल होने की खबरें चर्चा में रही थीं.