कर्नाटक शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि वर्ष 2020-21 के लिए राज्य के स्कूल केवल 70 प्रतिशत ट्यूशन फीस ही मांग सकेंगे. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार ने कहा कि कोई अन्य फीस (जैसे टर्म फीस या स्कूल डेवलपमेंट फीस) अभिभावकों से नहीं ली जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स से बात की गई थी. फीस का भुगतान करना अधिकांश अभिभावकों के लिए मुश्किल था, जबकि दूसरी तरफ, स्कूलों को भी अपने स्टाफ के वेतन का भुगतान करना था. ऐसे में ट्यूशन फीस को कम करने का फैसला लिया गया है.
निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों और अभिभावकों से इस विषय में चर्चा की गई थी. बीते छह महीने से राज्य में स्कूल बंद रहे हैं मगर शिक्षकों को वेतन का भुगतान किया जाना है, इसलिए यह व्यवस्था की गई है. जो भी स्कूल अभिभावकों से कम शुल्क लेना चाहते हैं, उनका स्वागत है और यदि किसी ने पहले से ही अधिक शुल्क का भुगतान किया है, तो आने वाले वर्ष के लिए वह फीस एडवांस जमा मान ली जा सकती है.
अभिभावकों को किश्तों में भी शुल्क जमा करने की सुविधा दी जा सकती है. ट्यूशन फीस में कर्मचारियों के लिए दिया जाने वाला वेतन और लाइब्रेरी की फीस जैसे अन्य शुल्क भी शामिल हैं. ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क जैसे स्कूल विकास शुल्क, परिवहन शुल्क आदि नहीं मांगे जाएंगे. चूंकि ऑनलाइन क्लासेज चलाई गई हैं, इसलिए केवल ट्यूशन फीस ही अभिभावकों से मांगी जा सकती है.