एक बार फिर विश्वविद्यालय के सेलेबस को लेकर विवाद खड़ा हो गया है और इस बार मामला कर्नाटक विश्वविद्यालय का है. कर्नाटक विश्वविद्यालय के अंडरग्रेजुएट विद्यार्थियों के पहले सेमेस्टर (Belagu-1) की किताब के लेकर मामला गर्मा गया है.
आरोप है कि किताब में ऐसा कंटेंट लिखा गया है, जिससे भारत की एकता बाधित होती है. कथित तौर पर सेलेबस में संघ परिवार, राम मंदिर के निर्माण और भारत माता आदि की आलोचना की गई थी और कुछ गलत शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.
'सांप्रदायिक नफरत बढ़ने का है अंदेशा'
धारवाड़ में हुए इस विवाद में आरोप लगाया गया है कि इसमें कई चीजों की आलोचना की गई है, जो भारत की एकता के हिसाब से ठीक नहीं है. आरोप है कि सेलेबस में भारत माता को सिर्फ हिंदुओं की देवी के रूप में चित्रित करके सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है.
RSS के लिए लिखी गई ये बात
इसके अलावा आरोप है कि सेलेबस में आरएसएस की आलोचना करने के लिए बार-बार "संघ परिवार" जैसे शब्दों का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है.
इस विवाद को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण जोशी ने कर्नाटक विश्वविद्यालय के कुलपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर पाठ्यक्रम को तत्काल वापस लेने की मांग की है. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो उन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा.
बता दें कि इसी साल कर्नाटक सरकार ने चार साल के ग्रेजुएशन कोर्स पर रोक लगा दी है. कर्नाटक सरकार ने ग्रेजुएशन कोर्स को लेकर आदेश जारी किया है. सरकार ने कहा कि 'हम अपनी सरकारी यूनिवर्सिटीज और सभी संबद्ध सरकारी कॉलेजों में फोर ईयर डिग्री कोर्स लागू नहीं करेंगे. इस शैक्षणिक सत्र 2024-25 में स्टूडेंट्स को सिर्फ 3 साल के डिग्री कोर्स में एडमिशन लेने का ही विकल्प रहेगा'.