भारत में स्कूलिंग सिस्टम में अलग-अलग डिजाइन की यूनिफॉर्म है. भारत में लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने के सरकारी प्रयासों की बात आती है, तो ज्यादातर मुद्दे अपराध को रोकने या जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट बनाने से संबंधित होते हैं. हालांकि, केरल ने चीजों को एक कदम आगे बढ़ाया है और राज्य में लैंगिक तटस्थता को प्रोत्साहित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का उदाहरण दिया है. इस फैसले से आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रभावित होगा.
इसलिए जब देश के स्कूलों को सभी जेंडर्स के प्रति अधिक संवेदनशील और समावेशी बनाने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण नियमावली पर देश का एक वर्ग हथियार उठा रहा था, इस दक्षिणी राज्य में वाम सरकार ने घोषणा की है कि वह लैंगिक तटस्थता के विचार का समर्थन करेगी. स्कूलों में सेम यूनिफॉर्म की अवधारणा जो शायद अब तक छात्रों और शिक्षाविदों के लिए समान रूप से अकल्पनीय थी.
एर्नाकुलम जिले के पेरुम्बवूर के पास वलयनचिरंगारा सरकारी लोअर प्राइमरी स्कूल, जिसमें 754 छात्रों की संख्या है, ने लैंगिक तटस्थता की दिशा में पहला कदम उठाया है और अपने छात्रों के लिए एक नई यूनिफॉर्म पेश की है जिसमें 3/4 शॉर्ट्स और शर्ट लड़के और लड़कियों दोनों के लिए लागू होगी.
स्कूल ने सभी छात्र-छात्राओं के लिए एक जैसे कपड़े (यूनिफॉर्म) पहनने की व्यवस्था की है. राज्य सरकार ने स्कूल की इस पहल की तारीफ की है. केरल के एर्नाकुलम जिले के पेरुम्बवूर के पास वलयनचिरंगारा सरकारी लोअर प्राइमरी (एलपी) स्कूल ने लैंगिक समानता के लिए यह कदम उठाया है. इसके तहत सभी छात्र-छात्राओं के लिए नई यूनिफॉर्म में 3/4 शॉर्ट्स (घुटनों तक की पैंट) और कमीज तय की है. इस स्कूल में 754 छात्र हैं.
नए ड्रेस कोड की योजना 2018 में बनाई गई थी और इसे स्कूल के निम्न प्राथमिक वर्ग के लिए शुरू किया गया था. कोरोना महामारी के बाद स्कूल फिर से खुलने पर इसे सभी छात्रों के लिए लागू कर दिया गया. अभिभावक-शिक्षक संघ (PTA) के मौजूदा अध्यक्ष विवेक वी ने एक एजेंसी से बातचीत में कहा कि 'वे बच्चों को एक समान आजादी देना चाहते हैं. विवेक, 2018 में पीटीए की उस कार्यकारी समिति का भी हिस्सा थे, जिसने एक समान वेश लाने से जुड़ा यह फैसला किया था.
विवेक ने एजेंसी से बातचीत में कहा कि हमें छात्रों और उनके अभिभावकों का समर्थन मिला. हम चाहते थे कि सभी छात्रों की एक समान वेशभूषा हो, ताकि तभी को एक समान स्वतंत्रता मिले. सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा कि समाज में इस बात पर चर्चा शुरू करने की जरूरत है कि क्या हमें लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल अब भी जारी रखने की जरूरत है.