स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह का जन्म आज ही के दिन 23 फरवरी 1881 को जन्म भारत में पंजाब के खटकड़ कलां गांव के सैन्य परिवार में हुआ था. उनके दादाजी सरदार फतेह सिंह सिंहू थे और उनके बड़े भाई सरदार किशन सिंह थे जो सरदार भगत सिंह के पिता थे. अजीत सिंह पंजाब के पहले आंदोलनकारियों में से एक थे जिन्होंने खुले तौर पर ब्रिटिश शासकों के सामने अपनी घोर नाराजगी जताते हुए सरकार की सार्वजनिक रूप से आलोचना की.
इसीलिए अंग्रेज सरकार ने उन्हें एक राजनीतिक विद्रोही घोषित किया. उन्होंने अपना अधिकांश युवा जीवन दुनिया का भ्रमण करने वाले प्रवासी के रूप में बिताया. इटली में जब द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया, तो उन्हें नेपल्स के एक विश्वविद्यालय में फ़ारसी पढ़ाने के लिए कहा गया. उन्होंने उत्तरी अफ्रीका में ब्रिटिश सेना में सेवारत भारतीय सैनिकों को संबोधित करते हुए, हिंदुस्तानी में कई भाषण दिए. उनके भाषणों का उद्देश्य भारत में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए आजाद हिंद फौज को खड़ा करना था.
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर चमनलाल ने बताया कि अजीत सिंह एक राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन चलाया. उन्होंने पंजाब औपनिवेशीकरण कानून और पानी के दाम बढ़ाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए.
फिर ऐसा हुआ कि उनके प्रदर्शनों से घबराई भारत की ब्रिटिश सरकार ने 1907 में उन्हें लाला लाजपत राय के साथ तत्कालीन बर्मा के मांडले में निर्वासित कर दिया लेकिन बाद में सरकार को इस फैसले को वापस लेना पड़ा.
बीकेयू (एकता-उगराहां) के महासचिव शिंगारा सिंह मान ने बीबीसी को बताया कि चाचा अजीत सिंह एक शानदार साम्राज्यवादी विरोधी आंदोलन 'पगड़ी संभाल जट्टा' के संस्थापक थे जो आंदोलन संघर्षशील जनता के लिए एक प्रेरणा बना हुआ है.
बता दें कि लगातार 91 दिन से जारी किसान आंदोलन में आज किसान पगड़ी संभाल दिवस मना रहे हैं. पगड़ी संभाल दिवस पर आत्मसम्मान के प्रतीक के रूप में किसान अपनी क्षेत्रीय पगड़ी को पहन सरकार के तीनों कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं. आज किसान दिल्ली के सिंघु व टिकरी बार्डर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ में आज पगड़ी संभाल दिवस मना रहे हैं. यह खास दिन शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह एवं स्वामी सहजानंद सरस्वती की याद में मनाया जाएगा. 1907 में 'पगड़ी संभाल ओए जट्टा' अंग्रेज सरकार के खिलाफ चलाया गया था.