प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में भारत के केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के दौरे पर थे. यहां की खूबसूरती बताते हुए उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर कई तस्वीरें पोस्ट की, लेकिन उनके इस ट्वीट से मालदीव सरकार के मंत्रियों में खलबली मच गई. पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा को लेकर मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना और दूसरे नेताओं द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयानों के बाद दोनों देशों मे हंगामा मचा हुआ है.अब हर कोई लक्षद्वीप के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता है. आइए हम आपको यहां का वो पहलू बताते हैं जो आजादी के बाद यहां शिक्षा के क्षेत्र की पूरी यात्रा बयां करता है.
1 नवंबर 1956 को लक्षद्वीप बना था भारत का केंद्र शासित प्रदेश
लक्षद्वीप भारत देश के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक है. सिर्फ खूबसूरती ही नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में उन्नत प्रगति के लिए भी इस टापू को जाना जाता है. साल 1956, 1 नवंबर के दिन इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मला था, तबसे से लेकर अबतक यानी कि पिछले 67 सालों में इस टापू पर काफी कुछ बदल चुका है. आपको जानकर हैरानी होगी कि बीते सालों में लक्षद्वीप का साक्षरता दर (Literacy Rate) 15 प्रतिशत से 84 प्रतिशत तक पहुंचा गया है. आइए अपने इस खूबसूरत टापू के शिक्षा के विकास पर एक नजर मारते हैं.
शुरुआत में लक्षद्वीप में पढ़ाई जाती थी सिर्फ कुरान
लक्षद्वीप की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, काफी सालों पहले तक लक्षद्वीप के करीब 36 के 36 द्वीपों में मस्जिदों से जुड़े स्कूलों में कुरान पढ़ाई जाती थी. मदरसों में मलयालम भाषा अरबी लिपि में पढ़ाई जाती थी, लेकिन इस भाषा को कुछ ही लोग पढ़ और लिख सकते थे. जब यहां ब्रिटिश लोगों ने अपना शासन शुरू किया तब यहां शिक्षा को बहुत पिछड़ा हुआ माना जाता था. ब्रिटिश लोगों के यहां आने के बाद भी किसी ने भी स्कूल खोलने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही युवाओं की शिक्षा की ओर ध्यान दिया गया.
15 जनवरी 1904 में खुला था पहला सरकारी स्कूल
समय बीतता गया और धीरे-धीरे यह समझ आया कि लक्षद्वीप में शिक्षा को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका इन स्वदेशी संस्थानों को प्रोत्साहित करना है. साल 1888 के दौरान, शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों को मस्जिद स्कूलों से जोड़ा गया था. इसके बाद 1895 में मदरसों से जुड़े स्कूलों में प्रारंभिक मलयालम पढ़ने और बोलने वाले उपलब्ध कराए गए. स्कूल का प्रत्येक पाठ मलयालम और अरबी दोनों लिपियों में लिखा गया था. लगभग 20 साल बाद यानी कि साल 1904 में केरल के कासरगोड के मप्पिला शिक्षक को लक्षद्वीप भेजा गया जिनके जरिये 15 जनवरी को लक्षद्वीप के अमीनी में पहला सरकारी स्कूल खोला गया. इस स्कूल में भाषाएं और अंकगणित (Arithmetic) विषय ही पढ़ाए जाते थे.
1933 में छात्रों के लिए शुरू हुई स्कॉलरशिप
1911 में लोगों के अनुरोध पर किल्टान में एक और प्राथमिक विद्यालय खोला गया और 1925 में लक्षद्वीप के कदमत में भी ऐसा ही एक विद्यालय खोला गया. 1927 में चेटलाट के लिए एक अस्थायी स्कूल बनाया गया. इसके अलावा छात्रवृत्ति योजना भी 1933 में शुरू की गई थी. नई योजना में कक्षा पांच से कक्षा आठ तक मुख्य भूमि में अध्ययन के लिए हर छात्र 5 रुपये की स्कॉलरशिप दी गई थी.
1942 में लक्षद्वीप का पहला छात्र हुआ था ग्रेजुएट
देश के आजादी के दौरान लक्षद्वीप में 9 प्राथमिक विद्यालय थे. चौंकाने वाली बात यह है कि इस समय भी एंड्रोट के किराक्कादा सैयद मोहम्मद कोया सिर्फ एक ही शख्य ऐसे थे जिनके पास ग्रेजुएशन की डिग्री थखी. साल 1942 में वह लक्षद्वीप से पहले ग्रेजुएट बने थे. इसके बाद वह क्षेत्र के कलेक्टर और सह विकास आयुक्त भी बनाए गए थे. आजादी के बाद लक्षद्वीप की शिक्षा सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए.
आजादी से बाद शिक्षा में सुधार के लिए उठाए गए थे कई कदम
स्वतंत्रता के तुरंत बाद शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए स्कूलों में पुस्तकों की आपूर्ति, मिड डे मील योजना, छात्रवृत्ति प्रदान करना आदि जैसे कई कदम उठाए गए, इसके बावजूद भी साल 1956 तक भी लक्षद्वीप के शिक्षा छेत्र में ज्यादा विकास देखने को नहीं मिला. इसके बाद कालीकट में पढ़ने वाले छात्रों को हरिजन में मुफ्त छात्रावास आवास प्रदान किया गया था. 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद, इसे द्वीप के छात्रों के लिए एक विशेष छात्रावास बनाया गया और 1963 तक कालीकट के पास इलाथुर में इसको लेकर काफी काम किया गया था. आज यहां वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों से जुड़े तीन छात्रावास हैं जो कि लक्षद्वीप के एंड्रोट, कदमत और कावारत्ती में बने हुए हैं. इन सभी उपायों से द्वीपों में स्नातकों और तकनीकी कर्मियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई थी. 1971 की जनगणना से पता चला कि लक्षद्वीप में 213 डिग्री धारक और तकनीकी कर्मचारी थे.
लक्षद्वीप का साक्षरता दर 87.52 प्रतिशत
साल 1956 में लक्षद्वीप का साक्षरता दर (Literacy Rate) सिर्फ 15.23 प्रतिशत था. समय के साथ-साथ आज यह 87.52 प्रतिशत तक पहुंच चुका है. अब 5200 मैट्रिक पास, 350 से ज्यादा ग्रेजुएट, 70 मास्टर्स किए हुए, 120 इंजीनियर, 95 डॉक्टर और सैकड़ों छात्र अन्य विषयों में पढ़ रहे हैं. लक्षद्वीप में स्कूल जाने वाले छात्रों में 47% लड़कियां हैं.