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RD Sharma: किसान पिता की इस आदत से मैथ्स के 'जादूगर' बने आरडी शर्मा, लिख चुके हैं CBSE, JEE, IIT की किताबें

Mathematician RD Sharma: आरडी शर्मा का जन्म राजास्थान के एक छोटे से गांव में हुआ था, अब वो दिल्ली में परिवार के साथ रहते हैं. आरडी शर्मा अपने कॉलेज में टॉपर और राजस्थान यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट थे. उन्होंने सीबीएसई के अलावा जेईई, आईआईटी और इंजनीयरिंग एंट्रेंस की किबातें लिखी हैं.

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Mathematician RD Sharma
Mathematician RD Sharma

गणित के जादूगर आरडी शर्मा (RD Sharma) की मैथ्स्स की किताबें देश-विदेश में मशहूर हैं. उन्होंने 6वीं क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक सीबीएसई बोर्ड की मैथ्स की किताबें लिखी हैं. इसके अलावा जेईई, आईआईटी और इंजनीयरिंग एंट्रेंस की 28 किताबें लिखी हैं. उन्होंने कभी भूत जैसी लगने वाली मैथ्स्स को बेहद आसान भाषा में समझाया है. आरडी शर्मा सर के नाम से तो हर कोई वाकिफ है लेकिन उनकी निजी जिंदगी के बारे में लोग बहुत कम लोग ही जानते होंगे.

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पिता सोने से पहले रोज 40 तक पहाड़ा सुनते थे
आरडी शर्मा का जन्म राजास्थान के एक छोटे से गांव में हुआ था, अब वो दिल्ली में परिवार के साथ रहते हैं. आरडी शर्मा बताते हैं कि उनके पिता की वजह से ही आज वो इतने बड़े  मैथ्समेटिशियन हैं. उन्होंने बताया कि बचपन में ही पिताजी ने उनको मैथ्स की तरफ धकेलना शुरू कर दिया था. उनके पिता एक किसान थे लेकिन रोज रात में सोने से पहले 40 तक पहाड़ा सुनते थे. ये पिता का ही असर था कि धीरे-धीरे मैथ्स में उनका इंट्रेस्ट बढ़ता गया और उन्होंने पढ़ाई से लेकर करियर तक हर चीज में मैथ्स को चुना.

न कोई बुक थी न टीचर, तो खुद ही बुक लिख डाली
आरडी शर्मा बताते हैं कि जब वह कॉलेज में थे तो उनके एक मैथ्स के टीचर की अचानक मौत हो गई. उनकी मौत के बाद हमें जो मैथ्स पढ़ा रहे थे ना तो वो पढ़ाने वाला टीचर था और ना कोई किताब थी. मेरे पास उनके दिए हुए नोट्स थे. मैंने उन्हीं नोट्स के आधार पर अपनी पहली किताब लिखी जिसका नाम था 'लिनियर अलजेब्रा'. उस वक्त आरडी शर्मा की उम्र सिर्फ 28 साल थी. ये किताब लोग अब भी पढ़ रहे हैं.

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जब गुरु ने कहा कि तुम्हारी बुक से मिली मदद
आरडी शर्मा बताते हैं कि अपने काम को लेकर कई बार अच्छा महसूस हुआ लेकिन वो एक किस्सा बताते हैं जिसने उन्हें गर्व से भर दिया था. उन्होंने बताया कि कॉलेज में आरके आमेटा नाम के उनके एक प्रोफेसर थे. आरडी शर्मा आमेटा सर से काफी प्रभावित थे. एक दिन उन्हें प्रोफेसर आमेटा का फोन आया और उन्होंने कहा कि मुझे एक टॉपिक के कॉन्सेप्ट को लेकर सालों से कन्फ्यूजन था लेकिन तुम्हारी बुक पढ़कर वो कन्फ्यूजन दूर हो गया. आर डी शर्मा कहते हैं कि उस दिन उन्हें असल में गर्व महसूस हुआ.

जब अपनी टीचर की क्लास में पढ़ाने पहुंचे आरडी शर्मा
आरडी शर्मा अपने कॉलेज में टॉपर और राजस्थान यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट थे. वो बताते हैं कि कॉलेज के तुरंत बाद उनकी सरकारी नौकरी लग गई. जिस कॉलेज में वो पढ़ाने के लिए पहुंचे वहां की एक टीचर पहले उनको भी पढ़ा चुकी थी. उन्होंने कहा, एक दिन ऐसा मौका आया जब मैं उन टीचर की क्लास में पढ़ाने पहुंचा, मैं उस वक्त बहुत यंग था और क्लास में कई लोग मुझसे ज्यादा उम्र के बैठे हुए थे. पढ़ाते हुए शुरू में तो बहुत दिक्कत हुई लेकिन जैसे ही क्लास खत्म हुई उन्होंने कई लोगों को कहते हुए सुना कि देखने में तो लड़का लगता है लेकिन पढ़ाता अच्छा है.

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बेटा-बहू इंजीनियर, बेटी अमेरिका में डॉक्टर
आरडी शर्मा सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं है. यही वजह है कि उनके बारे में लोगों को बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. आरडी शर्मा का एक बेटा और एक बेटी है. बेटा और बहू दोनो इंजीनियर हैं जबकि बेटी अमेरिका में डॉक्टर है. हमारी मुलाकात उनके परिवार से भी हुई. हम उनकी बहू और पोती के साथ बैठे और जाना कि आखिर आरडी शर्मा सर की फैमिली का हिस्सा होने के क्या मायने है. उनकी बहू प्रिया शर्मा एक किस्सा बताते हुए कहते हैं कि जब वो लोग मुंबई में रहते थे और बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को ये मालूम हुआ कि हम आरडी शर्मा की फैमिली से हैं तो लोग चौंक जाते थे वो कहते थे कि प्लीज एक बार अपने पापा से मिलवा दो.

आरडी शर्म की पोती ने बताया किस्सा
आरडी शर्मा सर की पोती आरुषि अभी 9वीं क्लास में है. वो भी ऐसा ही एक किस्सा बताते हुए कहती है कि 1 दिन बिल्डिंग के नीचे उसके दोस्तों ने उससे कहा कि तुमको पता है हमारी बिल्डिंग में आरडी शर्मा रहते हैं, हम जिनकी बुक स्कूल में पढ़ते हैं. आरुषि बताती है कि जब मैंने उनको बताया कि वह मेरे दादा हैं तो सभी बहुत सरप्राइस हुए. जब ये बात बाकी बच्चों को मालूम हुई तो उन्होंने भी मुझसे दोस्ती करने की कोशिश की. मतलब मुझे अब अपने दोस्तों के बीच ज्यादा अटेंशन मिलती है. बता दें कि आरडी शर्मा फिलहाल DSEU में पढ़ाते हैं और कुछ ही महीनों में रिटायर होने वाले हैं. उनका कहना है कि रिटायरमेंट के बाद भी मैथ्स पर लिखना नहीं छोड़ेंगे.

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