कोटा में सरकार और प्रशासन लगातार हर वो प्रयास कर रहे हैं जिससे छात्रों के सुसाइड मामलों पर अंकुश लगा सकें. इसी कड़ी में अब नया बदलाव देखने को मिला है. यहां छात्र सुसाइड की घटनाओं के बाद ऐसा माहौल बन गया है कि कई पैरेंट्स भी कोटा में आकर अपने बच्चों के साथ रहने लगे हैं. पेरेंट्स का कहना है कि इस माहौल को देखकर डर लगता है.
दरअसल, कोचिंग हब कहलाने वाले राजस्थान के शहर कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए बड़े बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं. बीते कुछ सालों से यहां से सफल छात्र भी निकल रहे हैं, लेकिन इसका स्याह पक्ष ये है कि इस माहौल से छात्रों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा और उससे मिलने वाला परफार्मेंस प्रेशर भी उन्हें सता रहा है. यहां पूरे देश से स्टूडेंट्स आकर तैयारी कर रहे हैं. लेकिन कोटा में इसी साल के इन 9 महीने के छात्रों के सुसाइड के आंकड़े अब स्टूडेंट के पेरेंट्स को भी डराने लगें है.
यहां नीट की तैयारी कर रहे एक छात्र की मां अंजलि आहूजा ने aajtak.in संवाददाता को बताया कि मध्य प्रदेश से यहां आकर मेरा बेटा कोटा में नीट की तैयारी कर रहा है. कोटा का माहौल और खबरें देखकर मुझे डर लगने लगा था. इसीलिए मैं अपने बेटे के पास कोटा आ गई, फोन पर बात हुई तो उसकी तबीयत भी सही नहीं थी. वो खाना भी नहीं खा रहा था तो इस माहौल को देखकर घबरा गई, जहां मेरा बेटा रह रहा था, दरअसल वहां खाना अच्छा नहीं था. फिर कोटा के इस माहौल में हर मां को डर लगेगा, पढ़ाई का प्रेशर तो रहता ही है.
अंजलि ने बेटे की दिनचर्या बताते हुए कहा कि वो सुबह उठता है, तब से लेकर रात तक पढ़ने और होमवर्क में ही टाइम निकल जाता है. वहां रहती हूं तो इतना संपर्क भी नहीं कर पाती थी. अब पास आ गई हूं तो डर नहीं लगता. मैं बेटे को यही समझाती हूं कि तैयारी कर लो अगर नहीं हुआ तो कोई बात नहीं. मेरे पति मेडिकल स्टोर चलाते हैं, वह भी बच्चे से रेगुलर बात करते है. हम दोनों बस यही समझाते हैं कि तुम बस अपना बेस्ट देने की कोशिश करो, अगर नहीं हुआ तो कोई बात नहीं.
नाम न छापने की शर्त पर एक और मां ने बताया कि वो पिछले दो महीने से अपने बेटी के साथ रह रही है. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी का इसी साल मैंने कोटा में एडमिशन करवाया है. वो नीट की प्रिपरेशन कर रही है. टीवी पर जब इस तरह की खबरें देखती थी तो मेरा कलेजा कांप जाता था. अब मैंने सोच लिया है कि कुछ दिन के लिए घर जाऊंगी फिर वापस इसके पास रहूंगी. बेटी की दोस्त ने मुझे बताया था कि इसकी तबीयत ठीक नहीं है. उदास रहती है, खाना टाइम पर नहीं खाती. ऊपर से कोटा का यह माहौल देखकर मुझे डर लग गया. बस मैं बेटी के साथ रहने के लिए कोटा चली आई. डर लगता था इस माहौल को देखकर की एक के बाद एक बच्चा जिस तरह से सुसाइड कर रहा है, कहीं यह सब देखकर मेरी बेटी भी मानसिक रूप से तनाव में न आ जाए. अब वो खुश है.
मेरे पति ने भी कहा कि तुम कोटा चली जाओ. मेरे आने के बाद से वो ठीक है. मैं रोज उससे बात करती हूं, वो मुझसे कंपटीशन का प्रेशर शेयर करती है तो मैं कहती हूं कि तुम इस प्रेशर को अपने ऊपर लो ही मत. कम से कम यहां कुछ सीख तो रही हो. अगर यहां नहीं हुआ तो और भी तमाम रास्ते हैं.
बच्चों के साथ जमीन बेचकर आ गए
महाराष्ट्र हिंगोली जिले के एक छोटे से गांव धनगर वाडी के रहने वाले केदार रामदास कोरडे दो साल पहले अपने दो बेटों को लेकर कोटा आ गए थे. केदार ने बताया कि मैं एक अल्प भूधारक किसान हूं. मेरे दो बच्चे हैं और मैं 2022 में मेरी पत्नी और मेरे दोनों बच्चों को लेकर कोटा आया था. मेरा एक बेटा 14 साल का है और दूसरा 17 साल का, मेरा बड़ा बेटा नीट की तैयारी कर रहा है और छोटा बेटा 9th क्लास में है.
वो बताते हैं कि मेरी स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं कोटा जाऊं और मेरे बच्चों को पढ़ा सकूं. मैं एक गरीब किसान हूं. मेरे बेटे जिस स्कूल में पढ़ते थे, उस स्कूल की एक बच्ची की 2020 में नीट यूजी में ऑल इंडिया रैंक 17 आई थी. तब मैंने सोचा कि चाहे जो भी हो मुझे मेरे बच्चों को पढ़ाना है, नहीं तो मेरे बच्चे भी मेरी तरह किसान ही बनकर रह जाएंगे. लेकिन, मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं कोटा में अपने बच्चों को पढ़ा सकता, उसके बाद मैंने अपनी ढाई बीघा जमीन बेच दी. यहां बच्चे अकेलेपन में परेशान न हों, इसलिए उनके साथ ही आ गया और अब यहीं वार्डन का काम करता हूं.
वहीं प्रशासन ने कोचिंग इंस्टीट्यूट से भी कई तरह के बदलाव करने की बात कही है. यहां रूटीन टेस्ट के लिए 6 बिंदुओं की गाइडलाइन जारी की गई.
ये हैं गाइडलाइन के 6 जरूरी बिंदु
1. कोचिंग संस्थानों में यदि क्लास रेगुलर चल रही है तो टेस्ट 21 दिन में और कोर्स पूरा होने पर टेस्ट 7 दिन में लेने होंगे.
2. टेस्ट के अगले दिन आवश्यक रूप से छुट्टी रखी जाएगी इस नियम को शक्ति से लागू किया जाएगा.
3. कोचिंग संस्थानों की ओर से होने वाले टेस्ट में स्टूडेंट की उपस्थिति उसकी इच्छा पर होगी यानी उसे टेस्ट देना ही है यह अनिवार्य नहीं होगा जो स्टूडेंट टेस्ट में शामिल होना चाहता है वह इसमें शामिल होगा और जो नहीं देना चाहता वह नहीं देगा यानी स्टूडेंट पर डिपेंड करेगा कि वह टेस्ट देना चाहे तो उसकी मर्जी नहीं कोई उसे फोर्स नहीं करेगा.
4. टेस्ट के बाद काउंसलिंग सेशन करना जरूरी होगा जो बच्चे एवरेज से नीचे कैटेगरी के हैं उनके लिए स्पेशल सेशन चलाया जाएगा.
5. टेस्ट के रिजल्ट तीन दिन बाद जारी करने होंगे.
6. टेस्ट के रिजल्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा और इसे हर स्टूडेंट और पेरेंट्स को पर्सनली भेजा जाएगा रिजल्ट में रैंक सिस्टम को भी बंद कर दिया गया है.