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वक्त पर न पहुंचते तो 'सुसाइड' कर लेते 45 छात्र! जानिए-कौन हैं कोटा के ये जीवन रक्षक

कोटा में स्टूडेंट सेल की टीम का पूरा फोकस कोचिंग स्टूडेंट्स पर है. वे क्या कर रहे हैं, हॉस्टल में कैसा खाना खा रहे हैं, उनके दिमाग में क्या चल रहा है, कहीं कोई डिप्रेशन का शिकार तो नहीं, कौन-सा छात्र सुसाइड करने का प्रयास कर सकता है. इन सभी सवालों का जवाब ढूढ़ने के लिए कोटा का स्टूडेंट सेल काम कर रहा है. आइए- पिछले 6 महीनों में उनकी उपलब्धियों के बारे में जानते हैं.

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Kota Student Cell
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कोटा में छात्रों के बढ़ते सुसाइड और लापता होने के मामलों को देखते हुए कोटा पुलिस प्रशासन हमेशा अलर्ट मोड में रहता है. आए दिन प्रशासन छात्रों के हित में कोई न कोई कदम उठाता रहता है. कोटा में "स्टूडेंट सेल" नामक एक राज्य स्तरीय कमेटी भी है, जो छात्रों के बीच जाकर उनकी परेशानी सुनती और हल करने की कोशिश करती है. इस स्टूडेंट सेल को जुलाई 2023 में शुरू किया गया था.

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छात्रों की करवाई जाती है काउंसलिंग

स्टूडेंट सेल को एडिशनल एसपी चंंद्रशील ठाकुर लीड कर रहे हैं और इसमें 7 सदस्य काम करते हैं. टीम बच्चों के बीच जाकर गेटकीपर के रूप में अवसाद के लक्षणों की पहचान करती है. इसके बाद स्टूडेंट को अवसाद मुक्त करने की कोशिश करती है और उनकी काउंसलिंग करवाती है. कोटा में बढ़ते सुसाइड के आंकड़ों को देखते हुए, यह सेल बनाया गया था और उसमें एडिशनल एसपी सहित 7 सदस्य टीम गठित की गई थी तबसे यह टीम लगातार काम कर रही है.

इतने छात्रों को सुसाइड करने से रोका

स्टूडेंट सेल ने शिक्षा नगरी में पिछले 7 महीनों में 900 से अधिक स्टूडेंट्स की समस्याओं का समाधान किया है. लक्ष्य के साथ अवसाद ग्रस्त 94 बच्चों की काउंसलिंग करवाई और इन्हीं 94 बच्चों में से 45 ऐसे बच्चे हैं जो सुसाइड करने की कगार पर थे. उनकी स्थिति ऐसी थी कि वह कभी भी आत्महत्या जैसा कदम उठा सकते थे, उनको स्टूडेंट सेल ने मौके पर पहुंचकर बचाया है. स्टूडेंट सेल की टीम आज भी इन 45 स्टूडेंट के टच में है. टीम कई बच्चों से मिलती है और फोन पर भी संपर्क बनाकर रखती है. इस टीम ने ऐसे छात्रों को बचाया है जो जहर खाने, अपनी नस काटने और अन्य तरीकों से सुसाइड करने के लिए तैयार थे. 

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छात्रों के लिए चलाए जाते हैं मोटिवेशनल कार्यक्रम

समय-समय पर कोचिंग छात्र कल्याण संबंधित अध्ययन रिपोर्ट भी तैयार की जाती है. स्टूडेंट की समस्याओं के समाधान के लिए अलग-अलग स्टेक होल्डर की सहायता ली जाती है. स्टूडेंट सेल की टीम के सदस्य अभय कमांड सेंटर के अनुभवी पुलिस अधिकारी हैं. छात्रों को मोटिवेट करने के लिए स्टूडेंट सेल की टीम समय-समय पर मोटिवेशनल कार्यक्रम भी आयोजित करती है.

क्या है कोटा पुलिस का दरवाजे पर दस्तक अभियान

छात्रों की मानसिक स्थिति के सुधार के लिए प्रशासन द्वारा "दरवाजे पर दस्तक" अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत पीजी मलिक व हॉस्टल वार्डन द्वारा रात में सोने से पहले हर कमरे पर दस्तक देकर स्टूडेंट से उनका हालचाल पूछा जा रहा है. छात्रों को स्टूडेंट सेल व 24*7 हेल्पलाइन नंबर 87645 20409 /10, 9530442778 के बारे में जानकारी देकर बैनर चिपकाए जाते हैं. इसके अलावा यह टीम हॉस्टल के मैस की भी जांच करती रहती है.

स्टूडेंट सेल के इंचार्ज ने कही ये बात

स्टूडेंट सेल के इंचार्ज एडिशनल एसपी चन्र्दशील ठाकुर ने कहा कि जून के लास्ट में स्टूडेंट सेल और हमारी टीम की स्थापना की गई थी. 7 महीने में हमारी टीम ने बहुत काम किया है और बच्चों के साथ एक संवाद बनाने और जुड़ने की कोशिश की है. छात्र-छात्राओं की समस्या के लिए एकल खिड़की बनने का प्रयास किया है. हमारी टीम बच्चों के बीच लगातार गई है, कोचिंग, मेस, पीजी, हॉस्टल में लगातार गई हैं और बच्चों के साथ बातचीत की है. वे उनसे दोस्त की तरह मिले हैं, माता-पिता की तरह उनसे मिले हैं, उनका विश्वास जीतने की कोशिश की है और उसमें काफी हद तक सफल भी हुए है. बच्चों ने हमारे हेल्पलाइन नंबर पर लगातार फोन किए हैं और अपने दिल के हाल बताए हैं, अपनी समस्याएं बताई हैं. जो बच्चे अवसाद में थे, उन्होंने अपनी मेंटल हेल्थ की स्थिति शेयर की है, जो बहुत बड़ी बात है.

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एसपी ने आगे कहा कि मेरे पास भी 24X7 एक हेल्पलाइन नंबर हुआ करता था जिससे मैं सीधा बच्चों से जुड़ा रहता था और लगातार हमारे हेल्पलाइन पर बच्चों के फोन आते रहते थे. बच्चों से मिलकर हमने सिर्फ बच्चों की समस्याओं का समाधान करने की कोशिश ही नहीं की है बल्कि बतौर गेटकीपर के रूप में बच्चों के अवसाद को पकड़ना, उनको देखकर उनकी तुरंत काउंसलिंग करवाना और उसके बाद उसका फॉलोअप करवाने का भी काम किया है.

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