NEET और JEE समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के कोचिंग हब कोटा में इन दिनों जैसे मौत का साया मंडरा रहा है. इस शहर से इसी साल 20 से ज्यादा आत्महत्याओं के मामले सामने आ चुके हैं. कमोबेश ये सभी आत्महत्या की घटनाएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों की हैं. इस वर्ष कोचिंग छात्रों के बीच आत्महत्या की चिंताजनक वृद्धि के मद्देनजर कोटा प्रशासन ने एक अजीब कदम उठाते हुए सभी कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने का आदेश दिया है.
इस आदेश को लेकर सोशल मीडिया में लोग अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा है कि उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा. आत्महत्या के मामलों में पंखे से ज्यादा मानसिक और सामाजिक वजहें जिम्मेदार हैं. पंखों को बदलने से समस्या कितनी सुलझती है, यह तो भविष्य की बात है. फिलहाल प्रशासन इस पहल को भी कारगर मानकर बदलाव कर रहा है.
जिला प्रशासन के आदेश के बाद कोटा नगरी के सभी छात्रावास के कमरों और पेइंग गेस्ट आवास में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने को अनिवार्य कर दिया गया है. ये पंखें सीलिंग में स्प्रिंग के माध्यम से टंगे होंगे जो जरा सा भी वजन पड़ने पर नीचे आ जाएंगे. कोटा जिला कलेक्टर ओम प्रकाश बुनकर द्वारा जारी आदेश का उद्देश्य इन आवासों में पढ़ने और रहने वाले छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करना और कोचिंग छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं को रोकना है.
पहले भी हो चुके हैं प्रयास
यह आदेश कोचिंग संस्थानों, छात्रावासों और पीजी के मालिकों को दिसंबर 2022 में जारी पिछले आदेश की भी याद दिलाता है. इससे पहले के आदेश में छात्र कल्याण के उद्देश्य से कई उपायों की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें छात्रों के लिए साप्ताहिक अवकाश, छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए साइकोलॉजिकल स्क्रीनिंग जैसे कदम शामिल थे.
जरूरी है आदेश
अब इस नोटिस में चेतावनी दी गई है कि इन उपायों का अनुपालन न करने पर आवास और संस्थानों को जब्त कर लिया जाएगा और मालिकों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. यह आदेश जेईई की तैयारी कर रहे 18 वर्षीय छात्र की आत्महत्या के कुछ ही दिन बाद आया है. यह घटना इस महीने कोटा में चौथी आत्महत्या है, जो इस साल की 22वीं आत्महत्या है, जो पिछले आठ वर्षों में सबसे अधिक है.
कोटा में मानसिक स्वास्थ्य संकट
कोटा भारत की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी उद्योग के मुख्य केंद्र के रूप में कार्य करता है. यहां लगभग 225,000 छात्र रहकर प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. देश भर से कई छात्र शीर्ष इंजीनियरिंग या मेडिकल स्कूलों में जगह पाने की उम्मीद के साथ कोटा आते हैं. इस वर्ष, शहर में आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है, जिनमें से अधिकांश जेईई या नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र थे.
10 में से 4 छात्र डिप्रेशन में, क्या हैं वजहें
इन दुखद घटनाओं के पीछे के कारण बहुआयामी हैं, जिनमें शैक्षणिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव शामिल हैं. छात्रों में पढ़ाई का दबाव, असफलता का डर और कोचिंग उद्योग में गलाकाट प्रतिस्पर्धा को प्रमुख योगदान देने वाले कारकों के रूप में पहचाना गया है. मानसिक कल्याण स्टार्टअप लिसुन के एक सर्वेक्षण में पता चला है कि कोटा में 10 में से 4 छात्र अवसाद से जूझ रहे हैं.
आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर, राजस्थान उच्च न्यायालय ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए समाधान मांगा है और राज्य के कोचिंग संस्थानों, विशेषकर कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या को रोकने के लिए सिफारिशें मांगी हैं. अदालत ने बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया है और विशेष रूप से कोचिंग संस्थानों के लिए तैयार किए गए राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक 2023 को पेश करने पर विचार कर रही है.
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