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कोटा: जिस पंखे से छात्रा ने फंदा लगाया, वो न स्प्र‍िंगलोडेड था, न उस पर कोई डिवाइस थी!

Kota Suicide Case: कोटा में पिछले तीन दिन में स्टूडेंट सुसाइड का दूसरा मामला सामने आया है. नीट की तैयार कर रही 21 वर्षीय छात्रा ने अपने हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटककर सुसाइड कर लिया है. इस साल में 29 छात्र-छात्राओं ने सुसाइड कर लिया है.

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वायरल फोटो (सोशल मीडिया)
वायरल फोटो (सोशल मीडिया)

Kota Suicide Case: साल का 11वां महीना चल रहा है. कोटा से इस साल सुसाइड की रिकॉर्डतोड़ खबरों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. कुछ दिनों तक ये सिलसिला थमने के बाद तीन दिनों से फिर बुरी खबरें आनी शुरू हो गईं. सोमवार को पहली घटना के बाद आज गुरुवार को फिर से एक सुसाइड की खबर आई है. इन घटनाओं से एक बार फिर प्रशासन की तमाम कथ‍ित तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसा दावा किया जा रहा था क‍ि कोटा की हर पीजी और हॉस्टल में स्प्र‍िंग लोडेड पंखें लगाए जा चुके हैं. ये ऐसे पंखें हैं जो वजन पड़ते ही नीचे आ जाएंगे. पंखों में एंटी सुसाइड डिवाइस लगाने का भी दावा किया गया था. लेकिन, सुसाइड की ताजातरीन घटना की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि जिस पंखे से युवती ने सुसाइड किया, वो न तो स्प्र‍िंग लोडेड था और न ही इसमें कोई ऐसी अलार्मिंग डिवाइस थी जो कि मौत से पहले किसी को जगा सकती.

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कोटा में पिछले तीन दिन में स्टूडेंट सुसाइड का दूसरा मामला सामने आया है. नीट की तैयार कर रही 21 वर्षीय छात्रा ने अपने हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटककर सुसाइड कर लिया है. इस साल में 29 छात्र-छात्राओं ने सुसाइड कर लिया है. प्रशासन के तमाम इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. छात्र आत्महत्या के बढ़ते आंकडों के मद्देनजर कोटा प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें से एक सभी कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने का आदेश भी शामिल था, लेकिन जांच में पता चला कि ऐसा कोई इंतजाम नहीं था.

प्रशासन की गाइडलाइन की उड़ रहीं धज्जियां
दरअसल, जिला कलेक्टर के आदेश थे कि कोटा के हर हॉस्टल और पिजी में एंटी सुसाइड डिवाइस लगाना अनिवार्य है वरना हॉस्टल सीज किया जाएगा, लेकिन जिस कमरे में छात्रा रहती थी उस कमरे में कोई एंटी सुसाइड डिवाइस नहीं लगा हुआ था. इससे पता चलता है कि हॉस्टल संचालक और कोचिंग संस्थान प्रशासन की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

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इससे पहले, दिनांक 20 अक्टूबर 2023 और 8 नवंबर 2023 को आयोजित जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में यह स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए थे कि कोचिंग संस्थान अपने-अपने छात्रों की समय-समय पर काउंसलिंग करेगी. काउंसलिंग के दौरान अवसाद से प्रभावित छात्रों को चिन्हित कर उनके साथ नियमित काउंसलिंग करवाई जाएगी. साथ ही ऐसे छात्रों के माता-पिता से भी बात कर उनको स्थिति से अवगत कराया जाएगा.

अगर छात्र की स्थिति अधिक अवसाद ग्रस्त है और उसके माता-पिता भी सूचना के बाद उसे लेने के लिए नहीं आते हैं तो यह सूचना तत्काल जिला प्रशासन के संज्ञान में देनी होगी. लेकिन सोमवार को हुई घटना में भी कोचिंग संचालक की लापरवाही सामने आई है. मृतक छात्र फोरीद हुसैन के प्रकरण में जिला प्रशासन कोटा को कोचिंग संस्थान की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई जिसके कारण जिला प्रशासन स्तर के राजकीय मनोचिकित्सक से छात्र का परामर्श उपचार संभव नहीं हो पाया.

प्रशासन का कहना है कि सभी को अवगत कराया गया था कि छात्रा से काउंसलिंग दिनांक 12 नवंबर में पता लग गया था कि छात्र अवसाद ग्रस्त है जिसकी लगातार काउंसलिंग कोचिंग के स्तर पर हो रही थी. इसके बावजूद आपने इसकी सूचना जिला प्रशासन को नहीं दी जिसके फल स्वरुप मृतक छात्र के परिजनों को समझाइस नहीं की जा सकी और यह संभव नहीं हो सका. फिलहाल प्रशासन ने कोचिंग संस्थान से तीन दिन में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश है.

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