शिक्षा की नगरी कोटा से साल की शुरुआत में छात्रों की सुसाइड की चार बुरी खबरों ने सभी का दिल दहला दिया है. यहां पढ़ने और अपना भविष्य संवारने आए छात्रों का इस तरह अपनी जान दे देना सभी को सोचने पर मजबूर करता है. छात्रों की मानसिक परेशानी दूर करने और उन्हें मोटिवेट करने के लिए प्रशासन द्वारा 'कामयाब कोटा' और 'डिनर विद कलेक्टर' जैसी पहल की जा रही हैं. बावजूद इसके कोटा में छात्र आत्महत्या के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे.
कोटा में 25 दिन में चार कोचिंग स्टूडेंट ने सुसाइड किया, 3 ने सुसाइड का प्रयास किया जिनकी जान पुलिस ने बचाई है, एक को 5 दिन से तलाशा जा रहा है. पिछले कुछ ही दिनों में कोचिंग कर रहे 8 छात्रों के मामले सामने आ गए हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने आधिकारिक नोटिस जारी करते हुए इन खबरों के बारे में बताया और साथ ही अपील भी की है कि छात्रों के साथ किस तरह से पेश आना चाहिए.
कोटा पुलिस छात्रों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील
पुलिस के आधिकारिक नोटिस में अधीक्षक शहर शरद चौधरी द्वारा लिखा गया कि कोटा शहर में प्रसिद्ध शिक्षण एंव कोचिंग संस्थान स्थित है जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते है. इंजीनियरिंग और विशेषत: आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए भारत वर्ष के छात्र पढने के लिये कोटा आते हैं, जिस कारण कोटा शहर एक प्रमुख शिक्षा हब होने के नाते छात्र सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण अंश है. कोटा शहर पुलिस कोचिंग छात्रो की सुरक्षा को लेकर काफी संवेदनशील है. इसी क्रम में कोचिंग छात्रो द्वारा सुसाएड की घटनाओ की प्रभावी रोकथाम हेतु अभियान के रूप में लेकर समस्त, थानाधिकारीगण को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये थे.
पुलिस से बचाई सुसाइड करने जा रही छात्रा की जान
13 फरवरी को थाना जवाहर नगर पर सूचना मिली की बिहार निवासी एक 16 वर्षीय कोचिंग छात्रा जो पिछले 3 माह से राजीव गांधी नगर कोटा में रहकर कोचिंग कर रही है वह आत्महत्या का प्रयास कर रही है. सूचना मिलने पर तुरंत थानाधिकारी थाना जवाहर नगर वासुदेव सिंह मय टीम द्वारा मौके पर पहुंचे और बालिका को विश्वास में लेकर उसका जिन्दगी बचाई है.
पुलिस की अपील
पुलिस अधीक्षक शहर शरद चौधरी ने अपील कि है कि परिजन अपने बच्चों वक पररजन अपने बच्चों से निरंतर संपर्क बनाए रखें साथ ही कोचिंग संस्थान और हॉस्टल मालिक से भी बातचीत करें. अपने बच्चे पर भरोसा रखें और दूसरे से उसकी तुलना ना करें. बच्चे के स्वभाव में अगर परिवर्तन नजर आएं तो उनपर गौर करें. कोई भी बच्चा अगर पढ़ाई के दवाब में है तो अपने माता-पिता या हमसे बात करे. इस कारण कोई बच्चा ना तो घर छोड़कर जाए और ना ही कोई गलत कदम उठाए. हर लाडले का जीवन बचाने की जिम्मदारी अभिभावक की भी है.