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Kota Suicide Case: छात्र पहले से डिप्रेशन में था, कोचिंग सेंटर ने क्यों नहीं दी सूचना? प्रशासन ने मांगा जवाब

प्रशासन का तर्क है कि अगर छात्र की स्थिति अधिक अवसाद ग्रस्त है और उसके माता-पिता भी सूचना के बाद उसे लेने के लिए नहीं आते हैं तो यह सूचना तत्काल जिला प्रशासन के संज्ञान में देनी होगी. लेकिन मृतक छात्र के प्रकरण में जिला प्रशासन कोटा को कोचिंग संस्थान की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई जिसके कारण राजकीय मनोचिकित्सक से छात्र का परामर्श उपचार संभव नहीं हो पाया. 

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कोटा में बढ़ रहे सुसाइड केस
कोटा में बढ़ रहे सुसाइड केस

कोटा में सोमवार को नीट के 20 वर्षीय छात्र फोरीद हुसैन ने डिप्रेशन के चलते आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया था. एक लंबे ब्रेक के बाद इस तरह की घटना ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया है. इस मामले में अब जिला प्रशासन एक्शन के मूड में है. जिला कलेक्टर ने इस मामले में कोचिंग संस्थान को नोटिस थमा दिया है. कोचिंग संस्थान से जिला कलेक्टर ने 3 दिन में जवाब मांगा है. प्रशासन ने पूछा है कि उन्हें अवसादग्रस्त छात्र की सूचना क्यों नहीं दी गई. 

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दरअसल, सोमवार की शाम डिप्रेशन में आकर एक कोचिंग छात्र फोरीद हुसैन पुत्र कमलालुद्दीन ने आत्महत्या कर ली थी. फोरीद लंबे समय से डिप्रेशन में था. कोचिंग संस्थान अपने ही संस्थान के अंदर उसकी काउंसलिंग कर रहा था. पूछताछ में प्रशासन को कोचिंग संस्थान ने बताया था कि हमने माता-पिता को अवगत करवाया था कि आपका बच्चा अवसाद ग्रस्त है, आप ले जाइए पर संस्थान की ओर से प्रशासन को सूचना नहीं दी गई. इस पर प्रशासन ने अब संस्थान को नोटिस भेजा है. 

कोचिंग संस्थानों को दिए गए थे यह आदेश

दिनांक 20 अक्टूबर 2023 और 8 नवंबर 2023 को आयोजित जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में यह स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए थे कि कोचिंग संस्थान अपने-अपने छात्रों की समय-समय पर काउंसलिंग करेगी. काउंसलिंग के दौरान अवसाद से प्रभावित छात्रों को चिन्हित कर उनके साथ नियमित काउंसलिंग करवाई जाएगी. साथ ही ऐसे छात्रों के माता-पिता से भी बात कर उनको स्थिति से अवगत कराया जाएगा. 

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अगर छात्र की स्थिति अधिक अवसाद ग्रस्त है और उसके माता-पिता भी सूचना के बाद उसे लेने के लिए नहीं आते हैं तो यह सूचना तत्काल जिला प्रशासन के संज्ञान में देनी होगी. लेकिन मृतक छात्र फोरीद हुसैन के प्रकरण में जिला प्रशासन कोटा को कोचिंग संस्थान की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई जिसके कारण जिला प्रशासन स्तर के राजकीय मनोचिकित्सक से छात्र का परामर्श उपचार संभव नहीं हो पाया. 

प्रशासन का कहना है कि सभी को अवगत कराया गया था कि छात्रा से काउंसलिंग दिनांक 12 नवंबर में पता लग गया था कि छात्र अवसाद ग्रस्त है जिसकी लगातार काउंसलिंग कोचिंग के स्तर पर हो रही थी. इसके बावजूद आपने इसकी सूचना जिला प्रशासन को नहीं दी जिसके फल स्वरुप मृतक छात्र के परिजनों को समझाइस नहीं की जा सकी और यह संभव नहीं हो सका. कोचिंग संस्थान से तीन दिवस में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश जिला कलेक्टर कोटा और अतिरिक्त जिला कलेक्टर कोटा के द्वारा दिया गया है.

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