कोटा में हो रहे सुसाइड हर किसी को अंदर से झकझोर रहे हैं. इसी दर्द को महसूस करके एक इंजीनियर ने ऐसा सेंसर बनाया है जो इन घटनाओं को रोकने का काम करेगा. सुसाइड रोकने के लिए देवराज का बनाया wibs सेंसर सुसाइड की प्रक्रिया होने से पहले ही हूटर सायरन बजा देगा. ऐसे कठिन समय में वार्डन हॉस्टल संचालक को कॉल कर देगा, इससे तत्काल नीचे लगे डिस्प्ले में रूम नम्बर भी शो हो जाएगा.
अगर दूसरे का दर्द समझने की भावना हो तो कोई भी परेशानी बाधा नही बन सकती. कोटा में सुसाइड रोकने के लिए एक इंजीनियर ने ऐसी ही डिवाइस बनाई है. बूंदी जिले के बालापुरा गांव के रहने वाले 25 वर्षीय सिस्टम इंजीनियर देवराज मोरजाल ने शिक्षा नगरी कोटा को सुसाइड फ्री सिटी बनाने के लिए कोटा प्रशासन के साथ मिलकर एक डिवाइस बनाकर तैयार की है.
क्यों बनाई ये डिवाइस
कोटा में ज्यादातर छात्रों ने पंखे से फंदा लगाकर ही सुसाइड किया है. इसी वजह को ध्यान में रखते हुए पंखे से बच्चे सुसाइड ना कर सकें, इसके लिए उन्होंने यह एक अच्छा विकल्प ढूंढा है. यह कम खर्च में अनोखा समाधान निकालते हुए उन्होंने ऐसा डिवाइस बनाया है जो आत्महत्या होने से पहले ही जानकारी दे देगा.
बज जाएगा सायरन
देवराज मोरजाल ने बताया कि मेरे दिमाग में यह डिवाइस बनाने का आइडिया तब आया जब मेरे मित्र हर्षित कुमार ने सुसाइड का प्रयास किया था. उसने मुझे बताया कि आये दिन कोटा में हो रहे सुसाइड के बारे में फोन पर चर्चा कर रहे थे. तब wibs सेंसर बनाने का दिमाग में विचार आया. मैं अपने दोस्त के साथ कोटा कलेक्टर से मिलने चला गया. उन्हें अपना विचार बताया तो कलेक्टर साहब ने भी इसे सराहा. उन्होंने कहा कि यह तो अच्छा काम कर रहे हो और कहा कि कल आप लोग मीटिंग के लिए आओ और सभी कोचिंग इंस्टीट्यूट के सामने अपना आइडिया पेश करो और हम चले गए. उसके बाद एडिशनल एसपी चन्द्रशील के ऑफिस गए, उनको बताया तो उन्होंने भी हौसला बढ़ाया.
काम कैसे करेंगा wibs सेंसर
देवराज बताते हैं कि ये पंखे की रॉड के साथ लगा मेगनेटिज्म डिवाइस है जिससे निकलने वाली किरणों पर किसी प्रकार का कोई ऑब्जेक्ट आता है तो वह कमांड देती है. जैसे कोई व्यक्ति फांसी का फंदा लगाने की कोशिश करेगा तो सबसे पहले तो पंखा तेज घूमने लग जायेगा ताकि कोई उसमें कुछ बांध ना पाए. अगर वो पंखा रोकने का प्रयास करते हैं तो नीचे फ्लोर में लगा हूटर सायरन बज जायेगा. इसके अलावा नीचे लगे LED में रूम नंबर शो हो जाएगा. इस डिवाइस में सिम नेटवर्क भी लगाया गया है जिसमें फीड किये नंबर जैसे वार्डन या संचालक को तुरंत प्रभाव से कॉल चली जाएगी. इसमें सारा सिस्टम कमांड के अनुसार काम करता है.
देवराज मोरजंल ने बताया कि अगर आगे हमें सरकार मदद करती है तो डॉक्टरों की मदद से हमारी टीम ऐसी सॉफ्टवेयर मशीनें बनाएगी जो डिप्रेशिव बिहेवियर को पकड़ने में मदद करेगी. यह सॉफ्टवेयर मशीन इंस्टीट्यूट के गेट ओर हॉस्टल गेट के अलावा मेस में लग सकती हैं. अगर कोई बच्चा स्ट्रेस में दिखेगा तो ये रेड सिग्नल देंगी ताकि कोचिंग और हॉस्टल प्रशासन उन पर नजर रख पाएं. अगर छात्र स्वस्थ होगा तो ये ग्रीन सिग्नल देगी.