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नहीं मिल रहीं किफायती दामों वाली NCERT की किताबें, निजी प्रकाशकों से खरीदने को मजबूर अभिभावक

NCERT ने अभी तक स्कूलों में नए सेशन के लिए किताबें मुहैया नहीं करवाई हैं. मजबूरन अभिभावकों को निजी दुकानदानों से किताबें खरीदनी पड़ रही हैं, जिनकी कीमत काफी ज्यादा है.

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Lack on NCERT Textbooks
Lack on NCERT Textbooks

स्कूलों और कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2024- 25 की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में कई अभिभावकों की शिकायत है कि बाजारों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबें ही नहीं मिल रही हैं. अभी जुलाई का आधे से अधिक बीत जाने के बाद बाजार में किताब नहीं आई हैं. लिहाजा पेरेंट्स को निजी प्रकाशकों से अच्छे खासे पैसे देकर किताबें खरीदनी पड़ रही हैं.

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दोगुना दामों पर खरीदनी पड़ रहीं किताबें

आजतक से बातचीत के दौरान एक अभिभावक ने बताया कि NCERT की जो किताब 50 से 70 रुपए में मिल जाती है अब उसके लिए 200 से 250 देना पड़ रहा है. निजी प्रकाशकों से ली गई ये किताबें अपेक्षाकृत काफी महंगी हैं. इससे अभिभावकों की जेब पर बोझ पढ़ रहा है. पुस्तक ना होने के चलते कई छात्रों का सिलेबस भी पीछे छूट रहा है. निजी प्रकाशकों की किताबें दो से तीन गुना महंगी हैं. इस साल 5 से 10% कीमत बढ़ी है. क्लास 9 से 12 की NCERT किताब का सेट 600-1000 रूपए में आ जाता है जबकि निजी प्रकाशकों की पुस्तक का सेट 2000 से 2500 रुपए तक मिलता है.

आजतक ने अभिभावकों के तर्क पर किया रियलिटी चेक

रियलिटी चेक में हमने पाय़ा कि नई सड़क, दरियागंज, सदर बाजार, नजफगढ़, लक्ष्मी नगर समेत कई बाजारों में NCERT किताबें उपलब्ध नहीं हैं. पढ़ाई शुरू होने के कारण अभिभावकों को मजबूरन महंगी किताबें खरीदनी पड़ रही हैं. दरियागंज के एक बुक सैलर ने कहा कि पहले NCERT की योजना थी कि सभी ग्रेड के लिए नई किताबों को लाएंगे जबकि बाद में क्लास 6 से आगे की कक्षाओं में मौजूदा करिकुलम जारी रहेगा. नई सड़क के NCERT के बुक सैलर ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि हर सीजन में NCERT किताबों की कमी रहती है. यूपी की तरह सरकार को एक तय रेट फिक्स कर प्रिंटिंग की अनुमति देनी चाहिए ताकि किताबों की कमी ना होने पाए. इस कमी का फायदा उठाते हुए किताबों के दाम बढ़ा दिये जाते हैं.

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सीबीएसई की किताबों को बैग वेट पॉलिसी से जोड़ना चाहिए

दिल्ली पेरेंट टीचर एसोसिएशन की प्रेसीडेंट अपराजिता गौतम ने कहा कि स्कूलो में किस क्लास में कितने बच्चे हैं उसकी लिस्ट सीबीएसई के पास होती है. क्योंकि सीबीएसई स्कूल की जरूरत के हिसाब से किताबें मुहैय्या करवाई जाती हैं. पब्लिसिशिंग तो सेशन शुरू होने से पहले ही हो जानी चाहिए. फरवरी तक किताबें छप जाएं और सभी जगह सर्कुलेशन हो जाए वो भी अप्रैल से पहले. अपराजिता का कहना है कि NCERT किताबें किसी स्टोरी को बहुच शॉर्ट में बताती हैं और प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों में चैप्टर्स काफी लंबे होते हैं. 

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