एमपी कैबिनेट बैठक में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पास हो चुका है. इस विधेयक के पास होने के बाद विश्वविद्यालयों के कुलपति अब कुलगुरु के नाम से जाने जाएंगे. वहीं, विश्वविद्यालय के कुल सचिव अब कुलपति कहलाएंगे. बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले मोहन यादव ने ही उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए यह प्रस्ताव पेश किया था लेकिन तब इसपर अमल नहीं हो पाया था. अब मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव ने इसे लागू कर दिया है.
बता दें कि मध्य प्रदेश कैबिनेट की मंगलवार को अहम बैठक हुई है. सीएम मोहन यादव कैबिनेट की बैठक ने कई अहम फैसले लिए हैं. इस कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया है कि अब कुलपतियों को कुलगुरु कहा जाएगा. इसके अलावा शराब की कीमतें पहले के मुकाबले अब 15 फीसदी ज्यादा होंगी.
मोहन यादव सरकार ने ये भी निर्णय लिया है कि धार्मिक स्थलों और स्कूलों से शराब दुकान डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर होगी. नियमों का पालन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. कैबिनेट ने ये भी फैसला लिया है कि किसानों को हर साल की तरह इस बार भी शून्य फीसदी ब्याज दर पर कर्ज मिलेगा. इसके साथ ही प्रदेश में बाल संरक्षण इकाई शुरू की जाएगी, वहीं हेल्पलाइन सेवा में संविदा पर सारा स्टाफ तैनात होगा.
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपति को केंद्र सरकार द्वारा गठित सर्च एंड सेलेक्शन कमेटीज की ओर से चुने गए नामों के पैनल से विज़िटर द्वारा नियुक्त किया जाता है. वहीं राज्य विश्वविद्यालयों में राज्यपाल विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति होते हैं. राज्यपाल राज्य सरकार के साथ सलाह / परामर्श पर कुलपति की नियुक्ति करता है.