साल 2024 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित सभी सरकारी पदों की भर्ती प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए. लेकिन, हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने जब इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से पूछा तो कुछ हैरान करने वाले तथ्य सामने आए. दरअसल, जयवर्धन सिंह की ओर से पूछा गया कि प्रदेश में दिव्यांगजनों के लिए कुल कितने पद आरक्षित हैं?
इस सवाल का जवाब मिला कि मध्यप्रदेश में दिव्यांगजनों के लिए सरकारी विभागों में कुल 37,000 पद आरक्षित हैं, लेकिन इनमें से 21,000 से अधिक पद अब भी खाली पड़े हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से 9,000 पदों के लिए अब तक कोई भर्ती विज्ञप्ति भी जारी नहीं की गई है.
कितने दिव्यांग हैं बेरोजगार?
सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग ने बताया कि स्पर्श पोर्टल पर करीब 9 लाख दिव्यांगजन पंजीकृत हैं. विभाग ने जो रिपोर्ट पेश की, उसमें हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं. प्रदेश के 45 से ज्यादा सरकारी विभागों में सालों से दिव्यांगों के लिए पद आरक्षित हैं, लेकिन ना तो भर्ती विज्ञप्ति जारी हुई और ना ही भर्तियां हुईं.
अभी शिक्षा विभाग में 5,711 पद खाली हैं, लेकिन अब तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग में में 1,120 पद खाली हैं, मगर भर्ती के लिए अबतक कोई नोटिफिकेशन नहीं आया, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में 600 से ज्यादा पदों पर भर्ती ठंडे बस्ते में पड़ी है.अब तक केवल 2,759 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई है, जबकि 9,431 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार है.
हाईकोर्ट ने दिए थे भर्ती के आदेश
बता दें कि जनवरी 2024 में, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को दिव्यांगों के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती प्रक्रिया तेज़ करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद, फरवरी 2024 में, सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों और अधिकारियों को आदेश जारी किया था. इस आदेश के तहत सभी विभागों को अपने-अपने आरक्षित पदों की पूरी जानकारी सामाजिक न्याय विभाग के कमिश्नर को भेजने का निर्देश दिया गया.
साथ ही, 5 अप्रैल 2024 से एक महीने के भीतर रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया के लिए नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश दिए गए. भर्ती प्रक्रिया 45 दिनों में पूरी कर 20 जून 2024 तक परिणाम घोषित करने की समयसीमा तय की गई. आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि 15 जुलाई 2024 तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, तो इसे हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना माना जाएगा.
कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार दिव्यांगजनों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है. जयवर्धन सिंह का कहना है, 'ये स्थिति दर्शाती है कि प्रदेश सरकार दिव्यंजनों के अधिकारों को लेकर गंभीर नहीं है,जहां एक ओर दिव्यांगजन सरकारी मदद और रोजगार की आस में हैं तो वही दूसरी ओर ये निष्क्रियता उनके भविष्य को अंधेरे में डाल रही है.'
'भर्ती अभियान है जारी'
इस पर सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण विभाग के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने आजतक से बातचीत में कहा कि मध्यप्रदेश सरकार दिव्यांगजनों के लिए 6% आरक्षण सुनिश्चित करती है और सभी विभागों में विशेष भर्ती अभियान के तहत प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया कि लोक सेवा आयोग के अंतर्गत भी दिव्यांगजनों के लिए पद आरक्षित हैं, यह एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन भर्ती के दौरान कुछ छोटी-मोटी दिक्कतें आती हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि कई बार दिव्यांगजन आवेदन तो करते हैं, लेकिन काम करने में कुछ व्यावहारिक चुनौतियां सामने आती हैं, मुख्यमंत्री और सरकार लगातार समीक्षा बैठकें कर रही हैं और संभावित समस्याओं के समाधान के लिए निर्देश जारी किए जा रहे हैं. मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि सामान्य भर्तियों में दिव्यांगजनों को आरक्षण के तहत शामिल करने को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी थी, जिसका जल्द समाधान किया जाएगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि जो भी पात्र हैं, उन्हें निश्चित रूप से भर्ती का लाभ मिलेगा और धीमी प्रक्रिया को तेज करने के लिए भी सरकार ठोस कदम उठा रही है.
बता दें कि मध्यप्रदेश में दिव्यांगजनों को सरकारी नौकरियों में 6% आरक्षण दिया जाता है. यह आरक्षण राज्य सरकार के सभी विभागों में लागू होता है. यह आरक्षण सभी प्रकार की सरकारी भर्तियों में दिया जाता है, चाहे वह संविदा, नियमित नियुक्ति या लोक सेवा आयोग के माध्यम से होने वाली भर्तियां हों. इस 6% आरक्षण को विभिन्न दिव्यांगता श्रेणियों (दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित, अस्थि एवं अन्य दिव्यांगता) में विभाजित किया जाता है, ताकि सभी पात्र उम्मीदवारों को अवसर मिल सके. यदि किसी वर्ष आरक्षित पदों पर भर्ती नहीं होती है, तो इन्हें अगले भर्ती प्रक्रिया के कैलेंडर में कैरी फॉरवर्ड किया जाता है.