मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य में स्कूल बसों के संचालन के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें स्कूल बसों में GPS सिस्टम और CCTV कैमरे लगाने का आदेश दिया गया है, ताकि माता-पिता अपने मोबाइल फोन के माध्यम से बच्चों की बसों को ट्रैक कर सकें. यह फैसला 2018 में हुई उस दुर्घटना के बाद लिया गया, जिसमें चार बच्चों की मौत हो गई थी जब DPS की बस ने सड़क डिवाइडर को पार करते हुए एक ट्रक से टक्कर मारी थी.
इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने 12 साल से पुरानी स्कूल बसों का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है और ऐसे ड्राइवरों को काम पर रखने से मना किया है जिन्होंने ओवरस्पीडिंग और शराब पीकर गाड़ी चलाने जैसे अपराधों के लिए जुर्माना भरा हो. ये दिशा-निर्देश उच्च न्यायालय की इंदौर बेंच ने बुधवार को जारी किए, जब वह 2018 में दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) की बस दुर्घटना में चार बच्चों की मौत से संबंधित जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी.
न्यूज ऐजंसी पीटीआई के अनुसार, न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति विनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने कहा, "स्कूल बसों के लिए पंजीकरण, परमिट और विशेष शर्तों का कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है". इस कारण, अदालत ने राज्य सरकार को मध्य प्रदेश मोटर वाहन नियम, 1994 में संशोधन करने तक, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया.
स्पीड लिमिट के अनुसार चलेंगी स्कूल बस
अदालत ने कहा, "कोई भी स्कूल बस 12 साल से पुरानी नहीं होनी चाहिए. स्कूल बसें निर्धारित गति सीमा के भीतर चलानी चाहिए. प्रत्येक बस में गति नियंत्रक (स्पीड गवर्नर) होना चाहिए." अदालत ने यह भी कहा कि स्कूल बसों का संचालन करने वाले ड्राइवरों के पास स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए और उन्हें भारी वाहन चलाने का कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए.
इसके अलावा, ड्राइवरों को उन अपराधों के लिए काम पर नहीं रखा जाएगा जिनमें ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाना और खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना शामिल हैं।.अदालत ने कहा, "जो ड्राइवर एक साल में दो से अधिक बार lane violation, signal light violation जैसे अपराधों के लिए जुर्माना लगाए गए हैं, उन्हें काम पर नहीं लिया जाएग."
2018 में 5 जनवरी को एक तेज रफ्तार DPS बस ने इंदौर के कन्नड़िया क्षेत्र में बायपास रोड के डिवाइडर को पार करते हुए सामने से आ रहे ट्रक से टक्कर मारी थी। इस दुर्घटना में बस चालक और 6 से 13 वर्ष आयु के चार बच्चे मारे गए थे.