
मध्य प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में अब छात्रों को शारीरिक दंड देना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है. लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने इस संबंध में सख्त आदेश जारी किए हैं, जो प्रदेशभर के सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होंगे. इसका मतलब सूबे के सरकारी और निजी स्कूलों में टीचर अब छात्रों को पीट नहीं सकेंगे.
DPI द्वारा प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी निर्देश में साफ कहा गया है कि 'अनिवार्य शिक्षा अधिनियम' के तहत छात्रों के साथ शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना और किसी भी प्रकार का भेदभाव पूरी तरह प्रतिबंधित है. ये अधिनियम की धारा 17(2) के तहत दंडनीय अपराध है. साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 के तहत भी छात्रों को शारीरिक दंड देना कानूनन अपराध है.
आदेश में प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने जिलों में स्कूलों में छात्रों को शारीरिक दंड देने की घटनाओं पर कड़ी नजर रखें और ऐसी घटनाओं की तुरंत पहचान कर उचित कार्रवाई करें. अगर किसी स्कूल या शिक्षक द्वारा छात्रों को शारीरिक सजा देने की शिकायत मिलती है तो तुरंत कानूनी कार्रवाई की जाए.
बता दें कि फरवरी में मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी स्कूलों में छात्रों को शारीरिक दंड देने की घटनाओं पर चिंता जताते हुए स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था और कड़े कदम उठाने की सिफारिश की थी. DPI के इस आदेश को छात्र हितों की सुरक्षा और स्कूलों में स्वस्थ शैक्षणिक माहौल बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.