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उत्तराखंड के सभी मदरसों का होगा वेरिफिकेशन, धामी सरकार का आदेश, 30 दिन में पूरा होगा काम

उत्तराखंड पुलिस ने राज्य में कुछ मदरसों के अवैध रूप से चलने की शिकायतों के बाद इन मदरसों का वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त निर्देशों के बाद, पुलिस महानिरीक्षक (अपराध और कानून व्यवस्था) निलेश आनंद भरणे ने यह आदेश जारी किया.

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Uttarakhand police orders verification of madrassas in a month
Uttarakhand police orders verification of madrassas in a month

उत्तराखंड पुलिस ने राज्य में कुछ मदरसों के अवैध रूप से चलने की शिकायतों के बाद मदरसों की जांच करने का आदेश दिया है. पुलिस महानिरीक्षक (अपराध और कानून व्यवस्था) निलेश आनंद भरणे ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से डीजीपी को इस संबंध में निर्देश मिलने के बाद यह आदेश जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि यह जांच प्रक्रिया बच्चों की सुरक्षा और राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, आईजीपी ने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य अवैध गतिविधियों को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी मदरसे कानूनी ढांचे के भीतर कार्य करें. सभी जिलों को एक महीने के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. जांच अभियान का फोकस यह पता लगाने पर होगा कि मदरसों के पास पंजीकरण है या नहीं और सभी जरूरी दस्तावेज हैं या नहीं. इसके अलावा, मदरसों के वित्त पोषण के स्रोत और वहां पढ़ रहे बच्चों की जांच भी की जाएगी.

उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ाई जाएगी संस्कृत और अरबी

हाल ही में उत्तराखंड मदरसा एजुकेशन बोर्ड ने उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत विषय शामिल करने का फैसला लिया था. इसके साथ ही यह फैसला भी लिया गया कि अरबी भाषा की शिक्षा भी दी जाएगी. इस बात की जानकारी उत्तराखंड मदरसा एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने दी थी. उन्होंने कहा था कि संस्कृत और अरबी दोनों प्राचीन भाषाएं हैं और इनमें आपस में कई समानताएं हैं. हमारे मदरसों में एनसीईआरटी का कोर्स लागू किया और 96.5 पर्सेंट बच्चे पास हुए हैं. हम उन बच्चों को मेन स्ट्रीम से जोड़ रहे हैं जिसे पूर्व सरकारों ने भय दिखाकर मुख्यधारा से काटा था.

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उत्तर प्रदेश मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

संबंधित मामले में, उत्तर प्रदेश में 5 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के राज्य कानून को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया था, जो मुस्लिम अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को नियंत्रित करता है. कोर्ट ने कहा था कि एक कानून को धर्मनिरपेक्षता के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता का सकारात्मक विचार राज्य से यह अपेक्ष करता है कि वह अल्पसंख्यक संस्थाओं को धर्मनिरपेक्ष संस्थाओं के समान दर्जा दे और सभी को समान रूप से मान्यता दे, चाहे उनका विश्वास और धर्म कुछ भी हो.

यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए दिया. इस फैसले ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 22 मार्च के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें मदरसा कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करार दिया गया था.

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