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MindRush 2021: WHO की चीफ साइंटिस्‍ट बोलीं- कोरोना वैक्‍सीन प्रोग्राम चलाने में भारत विश्‍व में अग्रणी

Business Today MindRush 2021: ये कोई लास्‍ट पैनडेमिक या हेल्‍थ शॉक नहीं है. आने वाले समय में क्‍लाईमेट चेंज के कारण बाढ़, भूकंप जैसी त्रासदियों का खतरा भी बढ़ा है. ऐसे में हमारी तैयारी पूरी होनी चाहिए.

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World Health Organisation (WHO) Chief Scientist Dr Soumya Swaminathan
World Health Organisation (WHO) Chief Scientist Dr Soumya Swaminathan

बिजनेस टुडे के माइंड रश कार्यक्रम में न्‍यू ग्‍लोबल हेल्‍थ डायनेमिक्‍स पर बोलते हुए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्‍ट डॉ. सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने कोरोना वैक्‍सीन प्रोग्राम चलाने को लेकर भारत की तारीफ की.

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डॉ. सौम्‍या ने कहा क‍ि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन साल 2030 सस्टेनेबल डेवलेपमेंट गोल लेकर चल रहा है. उन्‍होंने कहा क‍ि आज भी तकरीबन दुनिया की आधी आबादी को पूरी तरह स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं. 

ऐसे में भारत के सामने हेल्‍थ फॉर ऑल के गोल को पूरा करने की अलग तरह की चुनौतियां हैं. यहां हर राज्‍य की सोशल इकोनॉमिक अलग अलग है. उन्‍होंने साल 2019 में आए कोरोना वायरस को लेकर कहा कि जब ये महामारी अचानक सामने आई तो किसी भी देश ने श्‍वसन तंत्र के इस संक्रमण को लेकर तैयारी नहीं की थी.

न ही इतनी जल्‍दी इस श्‍वसन तंत्र के वायरस का इलाज कोई रास्‍ता निकल पा रहा था. उन्‍होंने कोरोना से जंग में भारत की खूब तारीफ की. उन्‍होंने कहा क‍ि भारत ने चाहे टेस्‍ट‍िंग हो, पीपीई क‍िट हो या अवेयरनेस हरेक मामले में आगे बढ़कर इसका सामना किया. यहां तक कि कोरोना वैक्‍सीन प्रोग्राम चलाने में भी भारत विश्‍व में अग्रणी रहा. भारत ने स्‍वदेशी जांच किट और वैक्‍सीन भी बनाई.

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उन्‍होंने कहा कि हेल्‍थ फॉर ऑल के गोल को पूरा करने के लिए केवल दस साल बचे हैं. अभी पूरी दुनिया मे कई संक्रमण हैं जिससे अब दो मिल‍ियन डेथ हो चुकी हैं. लेकिन इससे जंग में हमें वियतनाम और सेनेगल जैसे देशों से भी सीखना चाहिए. इन देशों ने पब्‍ल‍िक हेल्‍थ, प्राइवेट हेल्‍थ में इनवेस्‍ट किया. इन देशों ने कम्‍यूनिटी हेल्‍थ वर्कर के जरिये स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं ज्‍यादा से ज्‍यादा पॉपुलेशन तक पहुंचाई. 

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डॉ. सौम्‍या ने कहा क‍ि दुनिया के कुछ देशों के पास इनके अनुभव हैं. जैसे विश्‍व के साउथ ईस्‍ट देश सार्स से और अफ्रीकन टीवी, एचआईवी और इबोला से लड़ रहे हैं. इंडिया को इन सबसे सबक लेकर हेल्‍थ सिस्‍टम को और दुरुस्‍त करना होगा. ये देखना होगा कि स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं सिर्फ शहरों कस्बों तक ही नहीं बल्‍क‍ि रूरल एरिया तक पहुंच सकें, तभी हमारा गोल पूरा होगा. आज जरूरत है कि हम ज्‍यादा से ज्यादा डेटा सिस्‍टम, लैब नेटवर्क, सप्‍लाई चेन, कोल्‍ड चेन सिस्‍टम अपडेट करें ताकि हर इमरजेंसी से निपटने के लिए तैयार रह सकें. 

ये कोई लास्‍ट पैनडेमिक या हेल्‍थ शॉक नहीं है. आने वाले समय में क्‍लाईमेट चेंज के कारण बाढ़, भूकंप जैसी त्रासदियों का खतरा भी बढ़ा है. ऐसे में हमारी तैयारी पूरी होनी चाहिए. उन्‍होंने कहा कि भारत में पहले से स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर सरकार पोषण अभ‍ियान, आयुष्‍मान भारत, स्‍वच्‍छ भारत, पेयजल को लेकर अभ‍ियान चल रहा है.

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डॉ. सौम्‍या ने कहा क‍ि अब जरूरत है तो पब्‍ल‍िक, प्राइवेट, सिविल सोसायटी, कम्‍युन‍िटी के सहयोग से पॉपुलेशन का एक साइंटिफिक माइंडसेट तैयार करने की. अब हमें और ज्‍यादा इन्‍फोडेमिक होने की जरूरत है जिससे सही सूचना ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचे. मीडिया, साइंट‍िस्‍ट, साइंस जर्नल आदि मिलकर काम करें जिससे सोशल मीडिया पर चल रहे मिथकों और अफवाहों पर लगाम लग सके.

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