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Hindi के पेपर में प्रश्न पूछा, रस के प्रकार बताओ? छात्र का उत्तर- गन्ने का रस, आम का रस और बनारस

MP Board: इंदौर शहर के मालव कन्या विद्यालय में प्रदेश के दूसरे जिलों की 2.50 लाख कॉपियां जांची जा रही हैं. स्कूल में करीब 500 मूल्यांकनकर्ता 10वीं और 12वीं की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में जुटे हुए हैं. दिनभर में तमाम पुस्तिकाएं ऐसे निकल आती हैं जिन्हें पढ़कर हंसी छूट जाती है. 

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(सांकेतिक तस्वीर)
(सांकेतिक तस्वीर)

मध्य प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं जांची जा रही हैं. इस दौरान जांचकर्ताओं को ऊल-जलूल और अजीब-गरीब उत्तर देखने को मिल रहे हैं. इसके अलावा किसी जांच केंद्र पर कॉपियों के बीच 100-200 रुपए के नोट निकल रहे हैं तो कहीं पर्चियां. कुल मिलाकर किसी छात्र ने कुछ भी लिखकर यानी सिर्फ कॉपी भरकर पास होने की उम्मीद लगाई और किसी ने भगवान की कसम देकर पास कर देने की गुहार लगाई है. 
  
इंदौर शहर के मालव कन्या विद्यालय में प्रदेश के दूसरे जिलों की 2.50 लाख कॉपियां जांची जा रही हैं. स्कूल में करीब 500 मूल्यांकनकर्ता 10वीं और 12वीं की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में जुटे हुए हैं. दिनभर में तमाम पुस्तिकाएं ऐसे निकल आती हैं जिन्हें पढ़कर हंसी छूट जाती है. 

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इसका उदाहरण एक कॉपी में लिखे जवाब से आप समझ सकते हैं. दरअसल, हिंदी के पर्चे में एक प्रश्न पूछा गया कि रस कितने प्रकार के होते हैं? तो अभ्यर्थी उत्तर लिख गया- गन्ने का रस, आम का रस, सेव का रस और बनारस. 

यही नहीं, तमाम उत्तर पुस्तिकाओं में प्रश्नों के उत्तर में गीत, कविताओं से लेकर स्थानीय बोलियों में तमाम तरह की ऊटपटांग बातें लिखे हैं. 

हिंदी में लिख गए संस्कृत में उत्तर 

इसके अलावा, संस्कृत की परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर तमाम अभ्यर्थियों ने हिंदी में लिखे हैं. साथ ही साथ जो निबंध प्रश्न पत्र में पूछा भी नहीं गया, उसे जानबूझकर लिख गए हैं. मूल्यांकनकर्ता इसके पीछे की वजह बताते हैं कि संस्कृत विषय में कमजोर छात्र पास होने के लिए एक या दो निबंध रटते हैं, लेकिन जब प्रश्न पत्र में दूसरा निबंध पूछ लिया जाता है तो फिर छात्र याद किया गया निबंध ही लिख जाते हैं. एक कॉपी में 'दीपावली' और 'कामधेनु' की जगह 'संस्कृत भाषा के महत्व' का निबंध लिखा है.  

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इंग्लिश के आंसर हिंग्लिश में लिखे
वहीं, अंग्रेजी के पेपर की आंसरशीट जांची गईं तो इंग्लिश की जगह हिंग्लिश में आंसर लिखे मिले. सिर्फ यही नहीं, कई कॉपियों में सोशल मीडिया चैटिंग की तरह वाक्य लिखे गए हैं. यानी कि ग्रामर से लेकर स्पेलिंग तक की गलतियां हैं. इससे बढ़कर कुछ छात्र-छात्राएं कॉपी में अपना पेपर का सेट भी दूसरा लिख गए जिससे कॉपी चेक करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 

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