NCERT Books Changes: NCERT समय-समय पर अपनी किताबों के सिलेबस और कंटेंट में बदलाव करता रहता है. NCERT के लेटेस्ट सिलेबस में चीन-सीमा आक्रमण पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए गए हैं. इससे पहले भी एनसीईआरटी की इतिहास और पॉलिटिक्स की किताबों में कई चीजें हटाई और जोड़ी गई हैं.
आगामी शैक्षणिक वर्ष के लिए विभिन्न वर्गों के लिए एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की बुक से चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है. कॉन्टेम्परेरी वर्ल्ड पॉलिटिक्स किताब में अध्याय 2 में लिखित भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 में "हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया'', (However, military conflict over a border dispute between the two countries marred that hope.) लिखा हुआ था जिसे बदलकर "हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है''(However, Chinese aggression on the Indian border has marred that hope) कर दिया गया है . एनसीआरटी ने कहा कि चैप्टर के संदर्भ को मैच करने के लिए सेंटेंस को बदला गया है.
पीओके को लेकर एनसीईआरटी की किताबों में यह जरूरी बदलाव
पैराग्राफ में बताया गया संदर्भ उस समय का है जब जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. इस दौरान "हिंदी-चीनी भाई भाई" का नारा लोकप्रिय हुआ था. किताब के पैरा 1950 में तिब्बत पर चीन के कब्जे और चीन-भारत सीमा पर अंतिम समझौते, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी क्षेत्रीय दावे और 1962 के युद्ध के बारे में बताया गया है. सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि कक्षा 12वीं की पाठ्यपुस्तक 'स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति' में भी "आजाद पाकिस्तान" शब्द को बदलकर "पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर" (Pakistan Occupied Kashmir) कर दिया गया है.
पृष्ठ 119 पर, पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण में लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है. पाकिस्तान इस क्षेत्र को 'आजाद पाकिस्तान' कहता है. अब इसे बदल दिया गया है. अब किताब में लिखा है, "हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (POK) कहा जाता है. एनसीईआरटी ने इस बदलाव को लेकर कहा है कि "जो बदलाव किया गया है, वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है."
किताबों से हटाया गया खालिस्तानी आंदोलन
यहां तक कि खालिस्तान या अलग सिख राज्य के लिए अलगाव आंदोलन के संदर्भ को भी एनसीईआरटी की किताब से हटा दिया गया है. पृष्ठ 123 पर, लिखा था कि "संकल्प संघवाद को मजबूत करने के लिए एक दलील थी, लेकिन इसकी व्याख्या एक अलग सिख राष्ट्र के लिए एक दलील के रूप में भी की जा सकती है" (The Resolution was a plea for strengthening federalism, but it could also be interpreted as a plea for a separate Sikh nation), इस वाक्य को बदलकर "संकल्प भारत में संघवाद को मजबूत करने के लिए एक दलील थी" (The Resolution was a plea for strengthening federalism in India) कर दिया गया है.
उसी पेज नं. 123 दूसरे पैराग्राफ में एक वाक्य था, "अधिक चरम तत्वों ने अलगाव की वकालत करना शुरू कर दिया." इस वाक्य को एनसीईआरटी ने हटा दिया है. एनसीईआरटी के तर्क में कहा कि “पहले के संस्करण के अनुसार ऑनलाइन परिवर्तन पहले ही किए जा चुके हैं, लेकिन हार्डकॉपी के साथ नहीं किए गए हैं. इसलिए, हार्ड कॉपी में ऐसा करना आवश्यक है”.
आर्टिकल 370 को लेकर एनसीईआरटी ने किए ये बदलाव
एनसीईआरटी की किताब के 132 पेज में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की पूरा कहानी लिखी हुई है. किताब में पहले लिखा हुआ था कि "जहां अधिकांश राज्यों के पास समान शक्तियां हैं, वहीं कुछ राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं" (While most of the states have equal powers, there are special provisions for some states like J&K and the states in the North-East), इस वाक्य को बदलकर ''जहां अधिकांश राज्यों के पास समान शक्तियां हैं, वहीं कुछ राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं . हालांकि, अनुच्छेद 370 जिसमें जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान हैं, इसे अगस्त 2019 में निरस्त कर दिया गया था (However, Article 370 that contains special provisions for J&K, was abrogated in August 2019), कर दिया गया है.
आयोध्या-बाबरी मस्जिद चैप्टर में किए गए ये बदलाव
स्कूली छात्रों की किताबों से एनसीईआरटी ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस और 2002 के गुजरात दंगों के कुछ उदाहरण हटाए गए हैं. इसके अलावा हिंदुत्व के संदर्भ को हटाना और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में भी बदलाव किया गया है. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपनी किताबों में कई बदलाव करते हुए हाल के कुछ वर्षों में हुए संवेदशील विषयों को हटा दिया है.