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NCERT Books: बाबरी मस्ज‍िद अब होगी 'तीन गुंबद वाली संरचना', क्या कहेंगे आजाद पाकिस्तान को?

पिछली किताब में बाबरी मस्जिद को मुगल बादशाह बाबर के जनरल मीर बाक़ी द्वारा बनवाई गई 16वीं सदी की मस्जिद बताया गया था.संशोधित अध्याय में अब इसे "श्री राम की जन्मभूमि पर 1528 में बनी तीन गुंबद वाली संरचना बताया गया है, जिसके अंदर और बाहर हिंदू प्रतीकों और अवशेषों की स्पष्ट झलक दिखती है.

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Babri Masjid (File Photo)
Babri Masjid (File Photo)

पिछले हफ़्ते जारी की गई एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की नई संशोधित पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है. इसके बजाय इसे “तीन गुंबद वाली संरचना” बताया गया है. वहीं, अयोध्या खंड को चार पन्नों से घटाकर दो कर दिया गया है, साथ ही पिछले संस्करण से महत्वपूर्ण विवरण हटा दिए गए हैं. 

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CAPTION: Revised Textbook (2024-25) Redefines Babri Masjid as

पिछली किताब में बाबरी मस्जिद को मुगल बादशाह बाबर के जनरल मीर बाक़ी द्वारा बनवाई गई 16वीं सदी की मस्जिद बताया गया था. वहीं संशोधित अध्याय में अब इसे "श्री राम की जन्मभूमि पर 1528 में बनी तीन गुंबद वाली संरचना बताया गया है, जिसके अंदर और बाहर हिंदू प्रतीकों और अवशेषों की स्पष्ट झलक दिखती है.

CAPTION: Previous textbook described Babri Masjid as a 16th-century mosque built by Mughal emperor Babur’s General Mir Baqi

इससे पहले, पाठ्यपुस्तक में दो पृष्ठ फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत द्वारा फरवरी 1986 में मस्जिद का ताला खोलने के आदेश के बाद “दोनों पक्षों” की लामबंदी का वर्णन करते थे. इसमें सांप्रदायिक तनाव, सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, दिसंबर 1992 में राम मंदिर बनाने के लिए स्वयंसेवकों द्वारा की गई कारसेवा, मस्जिद का विध्वंस और जनवरी 1993 में हुई सांप्रदायिक हिंसा का विस्तार से वर्णन किया गया था. इसमें भाजपा द्वारा “अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद” व्यक्त करने और “धर्मनिरपेक्षता पर गंभीर बहस” का भी उल्लेख किया गया था.

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इसे इस प्रकार बदला गया है:

“1986 में, तीन गुंबद वाले ढांचे को लेकर स्थिति ने तब महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया जब फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत ने इसे खोलने का फैसला सुनाया, जिससे वहां पूजा की अनुमति मिल गई. यह विवाद दशकों तक चला, जिसमें दावा किया गया कि तीन गुंबद वाला ढांचा श्री राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया था. यद्यपि मंदिर के लिए शिलान्यास किया गया था, लेकिन आगे के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हिंदू समुदाय को लगा कि श्री राम के जन्मस्थान के बारे में उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया, जबकि मुस्लिम समुदाय ने संरचना पर अपने कब्जे का आश्वासन मांगा. स्वामित्व को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया, जिससे कई विवाद और कानूनी लड़ाइयांं हुईं. दोनों समुदायों ने निष्पक्ष समाधान की मांग की. फिर 1992 में, ढांचे के विध्वंस के बाद, कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि यह भारतीय लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए एक बड़ी चुनौती है.”

Old Textbook (2023:24) Detailed Mobilisation, Tensions, and Events Surrounding Ayodhya Dispute

'कानूनी कार्यवाही से लेकर सौहार्दपूर्ण स्वीकृति तक' शीर्षक वाला एक नया उपखंड अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विवरण देता है. यह स्वीकार करता है कि "किसी भी समाज में संघर्ष अपरिहार्य हैं", लेकिन इस बात पर जोर देता है कि "एक बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक लोकतांत्रिक समाज में, इन संघर्षों को आमतौर पर कानून की उचित प्रक्रिया के माध्यम से हल किया जाता है." इसके बाद यह 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मति से 5-0 के फैसले पर चर्चा करता है, जिसने इस साल की शुरुआत में मंदिर के उद्घाटन का मार्ग प्रशस्त किया.

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पाठ्यपुस्तक में बताया गया है: "फैसले ने विवादित स्थल को राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को आवंटित किया और सरकार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए उपयुक्त स्थल आवंटित करने का निर्देश दिया. यह संकल्प दर्शाता है कि लोकतंत्र संविधान की समावेशी भावना को कायम रखते हुए बहुलतावादी समाज में संघर्षों को कैसे संबोधित कर सकता है. इस मुद्दे को पुरातात्विक उत्खनन और ऐतिहासिक अभिलेखों जैसे साक्ष्यों के आधार पर उचित प्रक्रिया के माध्यम से हल किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक रूप से जश्न मनाया गया, जो एक संवेदनशील मुद्दे पर आम सहमति बनाने का उदाहरण है, जो भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार की परिपक्वता को दर्शाता है."

पुरानी पाठ्यपुस्तक में अखबारों की कतरनें शामिल थीं, जैसे कि 7 दिसंबर 1992 की एक कतरन, जिसका शीर्षक था “बाबरी मस्जिद ढहा दी गई, केंद्र ने कल्याण सरकार को बर्खास्त किया.” 13 दिसंबर 1992 की एक अन्य कतरन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कथन था, “अयोध्या भाजपा की सबसे बड़ी गलती” इन सभी कतरनों को हटा दिया गया है. 

CAPTION: New Edition Removes Controversial Newspaper Clippings on Ayodhya Demolition

पिछली किताब में 24 अक्टूबर, 1994 को मोहम्मद असलम बनाम भारत संघ मामले में मुख्य न्यायाधीश वेंकटचलैया और न्यायमूर्ति जीएन रे द्वारा दिए गए फैसले का एक अंश भी शामिल किया गया था, जिसमें कल्याण सिंह (विध्वंस के समय यूपी के मुख्यमंत्री) को "कानून की गरिमा को बनाए रखने में विफल रहने" के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था. फैसले में कहा गया था, "चूंकि अवमानना हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की नींव को प्रभावित करने वाले बड़े मुद्दों को उठाती है, इसलिए हम उन्हें एक दिन के सांकेतिक कारावास की सजा भी देते हैं."

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"आजाद कश्मीर" को हटाना और "चीनी आक्रमण" को जोड़ना:
कक्षा 12 की NCERT राजनीति विज्ञान की किताब में चीन के साथ भारत की सीमा की स्थिति के बारे में संदर्भ को अपडेट किया गया है. समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक के अध्याय 2 में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले खंड के अंतर्गत, पृष्ठ 25 पर पिछला वाक्य, जिसमें लिखा था, "हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस उम्मीद को खत्म कर दिया," को संशोधित करके, "हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रमण ने उस उम्मीद को खत्म कर दिया है." किया गया. 

CAPTION: Old Text Book (2023:24): 'Azad Kashmir' Reference Removed, 'Chinese Aggression' Added

आज़ाद पाकिस्तान का नाम बदलकर POJK कर दिया गया:
कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक 'स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति' को भी अपडेट किया गया है. इसमें “आज़ाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” (POJK) से बदल दिया गया है. पृष्ठ 119 पर, पहले वाले पाठ में कहा गया था, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है. पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आज़ाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है.” संशोधित पाठ में अब लिखा है, “हालां कि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू और कश्मीर (POJK) कहा जाता है.”

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अनुच्छेद 370 का निरसन:
नई पाठ्यपुस्तकों के पृष्ठ 132 पर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बारे में बताया गया है. पहले के संस्करण में कहा गया था, "जहां अधिकांश राज्यों के पास समान शक्तियांं हैं, वहीं J&K और पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं." इसे अपडेट करके यह कर दिया गया है, "जहां  अधिकांश राज्यों के पास समान शक्तियां हैं, वहीं J&K और पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं. हालांकि, अनुच्छेद 370, जिसमें J&K के लिए विशेष प्रावधान हैं, को अगस्त 2019 में निरस्त कर दिया गया था." NCERT बताता है कि J&K के विशेष प्रावधान, अनुच्छेद 370 को अगस्त 2019 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा निरस्त कर दिया गया था, और अद्यतन जानकारी के लिए एक लिंक प्रदान किया गया है.

CAPTION: Abrogation of Article 370 Mentioned in Revised Edition

 

CAPTION: Old Edition mentioned special provisions for states like J&K without referencing Article 370

(ये सभी पन्ने एनसीईआरटी की किताबों से लिए गए हैं)

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