
NCERT की किताबों से मुगल दरबार हटाने को लेकर चर्चाएं अभी थमीं नहीं थी कि अब गांधी को लेकर हुए बदलाव पर बात छिड़ गई है. इस बार एनसीईआरटी पर आरोप लगा है कि पाठ्यक्रम के युक्तिकरण (Rationalisation) के नाम पर आधिकारिक तौर पर जारी पुस्तिका में उनका उल्लेख किए बिना और कई तथ्य डिलीट कर दिए हैं.
जिन नवीनतम परिवर्तनों की बात हो रही है, उनमें एनसीईआरटी की ओर से गांधी की हत्या और भारत की स्वतंत्रता के बाद गांधी ने जो किया उसके संदर्भों को राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया है. राजनीति विज्ञान की पुरानी पाठ्य पुस्तक से वो पक्तियां हटाई गईं जिसमें उल्लेख है कि गांधी उन लोगों द्वारा विशेष रूप से नापसंद किए जाते थे जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें. दूसरे वो लोग जो चाहते थे कि भारत एक हिंदुओं का देश बन जाए जैसे कि पाकिस्तान मुसलमानों के लिए बना था. गांधी पर मुसलमानों और पाकिस्तान के पक्ष में काम करने का आरोप लगा. गांधी के मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप का संदर्भ समेत ये सभी लाइनें अब हटा दी गई हैं.
हटाई गई पंक्तियों में 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से नीचे की पंक्तियों को भी हटा दिया गया है. इन पंक्तियों में था कि “हिंदू मुस्लिम एकता के उनके दृढ़ प्रयास ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधी जी की हत्या के कई प्रयास किए. इसके बावजूद उन्होंने यह स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि मैं असुरक्षित हूं. उन्होंने अपनी प्रार्थना सभाओं के दौरान सभी के साथ मिलना जारी रखा. गांधी की मृत्यु का देश की सांप्रदायिक स्थिति पर लगभग जादुई प्रभाव पड़ा. विभाजन से जुड़ा गुस्सा और हिंसा अचानक शांत हो गई. साम्प्रदायिक गर्मी फैलाने वाले संगठनों पर भारत सरकार की कड़ी कार्रवाई राष्ट्रीय समाज सेवा संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था. अचानक से साम्प्रदायिक राजनीति अपना आकर्षण खोने लगी.
गांधी की हत्या और गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के पुणे के एक ब्राह्मण के रूप में संदर्भ और एक चरमपंथी हिंदू अखबार के संपादक, जिन्होंने गांधी को मुसलमानों के तुष्टिकरण के रूप में निंदा की थी. इनको भी कक्षा 12 वीं की इतिहास की पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया है. लेकिन ये सभी हटाए गए भाग आधिकारिक तौर पर पाठ्यक्रम के युक्तिकरण पर जारी पुस्तिका का हिस्सा नहीं हैं, जो एनसीईआरटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है. वहां पर राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम को हटाने की शुरुआत पृष्ठ संख्या 41 से होती है.. जबकि उपरोक्त पंक्तियां जो गांधी हत्या के संबंध में हटा दी गई हैं, यहां नीचे पृष्ठ 12 पर एक बॉक्स में उल्लेख किया है.
आधिकारिक तौर पर एनसीईआरटी ने 12वीं राजनीतिक विज्ञान की किताब से NCERT ने गुजरात दंगों के साथ ही अन्य विषयों को भी हटाया है. इसमें नक्सली आंदोलन का इतिहास और आपातकाल के दौरान विवाद आदि विषय शामिल हैं. किताब में “नक्सली आंदोलन” के इतिहास पेज संख्या 105 और “आपातकाल के दौरान विवाद” पेज संख्या 113-117 में शामिल था. NCERT ने पहले कोरोना महामारी को देखते हुए छात्रों पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को देखते हुए अप्रासंगिक विषयों को हटाया गया था.