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स्‍कूलों में खत्‍म हो ब्‍लैकबोर्ड लर्निंग, बच्‍चे खुद लें टीचिंग सेशंस... NCF ने दिए ये सुझाव

NCF 2023: नेशनल करिकुलम फ्रेमव‍र्क ने सुझाव दिया है कि स्‍कूल कल्‍चर में कुछ बदलाव जरूरी हैं जिससे बच्‍चे ज्‍यादा आसानी से सीख सकें और उनका अप्रोच भी पॉजिटिव बने. इसके तहत क्‍लासरूम में ब्‍लैकबोर्ड लर्निंग को भी बदलने का सुझाव दिया गया है.

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Representational Image
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NCF 2023 Recommendations: नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के ड्राफ्ट रिकमेंडेशंस के तहत स्‍कूली शिक्षा में कई बड़े बदलाव हो सकते हैं. फ्रेमवर्क में बच्‍चों के लिए लर्निंग को और आसान और बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है. सुझाव है कि स्‍कूल कल्‍चर में कुछ बदलाव जरूरी हैं जिससे बच्‍चे ज्‍यादा आसानी से सीख सकें और उनका अप्रोच भी पॉजिटिव बने. इसके तहत क्‍लासरूम में ब्‍लैकबोर्ड लर्निंग को भी बदलने का सुझाव दिया गया है.

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क्‍लासेज़ में खत्‍म हो ब्‍लैकबोर्ड लर्निंग
ड्राफ्ट में कहा गया है, 'अगर सभी बच्चे हमेशा ब्‍लैकबोर्ड की ओर मुंह करके बैठते हैं, तो इस तरह की व्यवस्था से यह धारणा बनती है कि सीखने का स्रोत ब्लैकबोर्ड और शिक्षक ही हैं. जबकि एक सर्कल, सेमी सर्कल या ग्रुप में बैठने की व्यवस्था छात्रों को सीखने का बेहतर मौका देती है. इससे वे अपने साथियों के साथ बातचीत कर सकते हैं और साथ मिलकर काम करना सीख सकते हैं.'

'स्‍कूलों में अभी भी होशियार छात्रों को आगे की सीटों पर बैठने और अन्‍य बच्‍चों को पीछे बैठाने की प्रथा है, तो यह प्रैक्टिस ही इस बात को पुष्ट करेगा कि कौन सीखता है और कौन नहीं. लड़कों और लड़कियों के लिए अलग बैठने की जगह, नीचे बैठे छात्र और कुर्सी पर बैठे शिक्षक भी बच्‍चों के बीच पदानुक्रम (hierarchy) का भाव पैदा करते हैं.'

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बच्‍चों को मिले ओनरशिप
जारी ड्राफ्ट में कहा गया है, 'मौजूदा क्‍लासरूम कल्‍चर में, छात्र सीखने के लिए पूरी तरह से शिक्षकों के निर्देशों पर निर्भर होते हैं और खुद से कोई पहल नहीं करते. जबकि सीखने के लिए जरूरी है कि छात्र सक्रिय रूप से सीखने की प्रक्रिया में भाग लें. उन्‍हें टीचिंग मटीरियल तैयार करने, खुद की पर्फामेंस पोर्टफोलियो बनाने और यहां तक की खुद क्‍लासेज़ में टीचिंग सेशंस लेने का मौका भी दिया जाना चाहिए.'

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत देश की शिक्षा में कई मूलभूत बदलाव हो रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे. NCF की अनुशंसाओं पर विचार के बाद यह बदलाव जल्‍द ही देश की शिक्षा व्‍यवस्‍था में दिखाई दे सकते हैं.

 

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