James Dyson India award 2020: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (अहमदाबाद) के शशांक निमकर ने अपने आविष्कार- अर्थ तत्व के लिए जेम्स डायसन इंडिया अवार्ड 2020 जीता है. इसके जरिये इंडस्ट्री से निकले सिरेमिक जहर को नये उत्पादों को बनाने में कर रहे हैं.
निमकर ने नए उत्पादों को बनाने के लिए आसपास के उत्पादन क्लस्टर और मिट्टी से यूज्ड ग्रोग नामक सिरेमिक रिजेक्ट्स का इस्तेमाल किया. ये उत्पाद न केवल कचरे से बने होते हैं, बल्कि ये एक शून्य-अपशिष्ट प्रक्रिया के माध्यम से भी निर्मित होते हैं. इसके अलावा, इन उत्पादों को कई बार पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है.
पुरस्कार विजेता निमकर ने दावा किया है कि उत्पादन का यह रूप प्राकृतिक संसाधनों के लिए खनन को कम करने में सक्षम है और 60 फीसदी तक लैंडफिल करता है. इस प्रोडक्शन डिज़ाइन ने उन्हें प्रतियोगिता में 2,000 पौंड (लगभग 1.90 लाख रुपये) की पुरस्कार राशि प्रदान की.
शशांक ने इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि यह सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणा से प्रेरित है. पृथ्वी तत्व एक अद्वितीय सामग्री संरचना है जो पोस्ट-इंडस्ट्रियल सिरेमिक कचरे को एक यूनिवर्सल रूप से फिर से इस्तेमाल के लिए सामग्री में बदल देती हैं. शशांक कहते हैं कि मुझे हमेशा से ही ये आइडिया बहुत ही रोमांचित करता रहा है कि मैं वेस्ट चीजों को वैल्यूबल यानी मूल्यवान संसाधन में बदल सकूं.
शशांक ने पृथ्वी तत्व प्रोजेक्ट एनआईडी-अहमदाबाद में अपने मास्टर प्रोग्राम के अंतर्गत किया. फिर उन्होंने इस वर्ष के जेम्स डायसन इंडिया अवार्ड के लिए इसे भेजा जिसमें कि वो विजेता रहे. बता दें कि इस वर्ष पुरस्कार के लिए 241 प्रविष्टियां आईं थीं, जिनमें से 93 प्रविष्टियों को शॉर्टलिस्ट किया गया. इसमें उपविजेता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास रहा. इसके अलावा NID, अहमदाबाद की एक टीम का प्रोजेक्ट दृष्टि भी इसमें हिट रहा.
बता दें कि शशांक ने इंडस्ट्री के इस सेरेमिक वेस्ट से कई खूबसूरत और उपयोगी चीजें बनाई हैं. जिसे कि बार-बार यूनिवर्सल तौर पर रीयूज किया जा सकता है. उनके इस प्रोजेक्ट को बहुत प्रशंसाएं मिल रही हैं. उनका ये प्रोजेक्ट इंडस्ट्री के इस बड़ी मात्रा में पैदा होने वाले वेस्ट को एक मायने देकर उसे इस्तेमाल के योग्य बनाता है.