उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों की एमबीबीएस डिग्री को अब नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा मान्यता प्रदान कर दी है, जिसके चलते छात्रों का भविष्य अब अंधेरे में नहीं रहेगा और ये भी नौकरी के लिए अप्लाई कर सकते हैं. साथ ही प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं.
दरअसल 2017 बैच के एमबीबीएस के छात्र इसी साल पास आउट हुए हैं लेकिन जब ये सभी पास आउट हुए और नौकरी के लिए आवेदन करने का समय आया तो पता चला कि राम मनोहर लोहिया संस्थान को एमबीबीएस की डिग्री की मान्यता ही नहीं मिली है. इससे छात्रों को भविष्य को लेकर डर सताने लगा. हालांकि लोहिया प्रशासन ने छात्रों को आश्वासन दिया कि जल्द ही एनएमसी से समन्वय स्थापित करके एमबीबीएस की डिग्री को मान्यता दिलाई जाएगी.
इसके बाद छात्रों ने कुछ दिन इंतजार किया लेकिन काफी समय बाद समस्या का समाधन नहीं हुआ. तब लोहिया संस्थान के एमबीबीएस के छात्रों ने कैंपस से लेकर सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी करते हुए नाराजगी दर्ज की. एनएमसी भी हरकत में आ गया और परिणाम यह हुआ कि राम मनोहर लोहिया संस्थान के एमबीबीएस के छात्रों की एमबीबीएस डिग्री को नेशनल मेडिकल कमिशन ने मान्यता दे दी. अब छात्र नेशनल मेडिकल कमिशन में अपना पंजीकरण करवा सकते हैं. अब स्टूडेंट्स नौकरी के लिए कहीं भी आवेदन कर सकते हैं.
50 छात्रों की डिग्री का पेंच फंसा
2017 बैच में लोहिया संस्थान में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू किया गया था, तब 150 सीटों पर दाखिले लिये गए. 2019 से यहां एमबीबीएस की सीटें बढ़ाकर 200 कर दी गईं. 2017 बैच में कुल 150 छात्र थे जो लोहिया संस्थान में बैचलर ऑफ मेडिकल-बैचलर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई कर रहे थे और उन्हीं पासआउट डेढ़ सौ छात्रों की MBBS डिग्री को नेशनल मेडिकल कमीशन ने मान्यता दे दी है, लेकिन अन्य 50 छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें नेशनल मेडिकल कमीशन ने अभी मान्यता नहीं दी है. राम मनोहर लोहिया संस्थान की डीन नुजहत हसन ने बताया कि जो छात्र पास आउट होते हैं उन्हीं को मान्यता मिलती है तो ऐसे में अभी डेढ़ सौ छात्राओं की डिग्री को मान्यता मिली है, वहीं जो 2019 बैच के छात्र हैं जब वह पास आउट करेंगे तो उन्हें भी अगले साल मान्यता मिल जाएगी.
डॉक्टर नुजहत ने बताया कि जो 50 छात्र ईडब्ल्यूएस कोटे से आए हैं उनकी डिग्री के लिए हम लोगों ने अभी से अप्लाई कर दिया है जिसमें नेशनल मेडिकल कमीशन आकर इंस्पेक्शन करेगा और फिर अगले साल जब यह छात्र पास आउट होंगे तो उनकी भी MBBS डिग्री को मान्यता मिल जाएगी. डीन नुजहत ने आगे बताया कि जब ईडब्ल्यूएस के सारे कॉलेज सील हुए थे तो उसमें से कई कॉलेजों ने अपने स्टूडेंट्स हमें दे दिए थे जिनकी कुल संख्या हमारे संस्थान में 50 छात्रों की है. इनमें सभी कैटेगरी के बच्चे शामिल हैं. ऐसे में इन छात्रों का यह फाइनल ईयर है अगले साल पास आउट होते वक्त एनएमसी के इंस्पेक्शन के उपरांत इनके हाथों में भी मान्यता वाली डिग्री होगी.