Delhi Schools News: दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए बड़ा फैसला लेने की संभावना है. बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के स्कूलों को ऑड-इवेन फॉर्मूले के तहत खोला जा सकता है. राज्य सरकार स्कूलों, कॉलेजों, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को ऑड-ईवन पर चलाने का फैसला ले सकती है.
अगर ऑड-इवेन फॉर्मूला लागू होता है तो आधे-आधे छात्रों को फिजिकल क्लासेस के लिए बुलाया जाएगा. यानी आधे छात्रों को तीन दिन घर में रहना होगा और आधे छात्रों को स्कूल जाना होगा.
दिल्ली में AQI severe श्रेणी की खराब हालत के मद्देनजर एयर क्वालिटी कमीशन ने कई आदेश दिए हैं, जो इस प्रकार हैं-
NCPCR ने की थी स्कूल बंद करने की मांग
इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल बंद करने की मांग की थी. एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को लेकर लिखकर एयर क्वालिटी इंप्रूव होने तक स्कूल बंद करने की मांग की थी.
NCPCR Chairperson Priyank Kanoongo sends notice to Delhi government over poor ' Air Quality' in & around the National Capital.
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) November 2, 2022
' It seems that the government of NCT of Delhi has failed to take any preventive measures in this regard', the letter reads.@KanoongoPriyank pic.twitter.com/3RGeUqw64u
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने दी थी ये जरूरी जानकारी
वहीं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बढ़ते प्रदूषण के चलते कहा था कि CAQM इन सभी चीजों की मॉनिटरिंग कर रहा है. इसमें 3 दिन की एडवांस मॉनिटरिंग की जा रही है और इसी के हिसाब से ही चीजें तय की जाती है. अगर 450 से ज़्यादा AQI होता है तो GRAP 4 के अनुसार स्कूल बंद हो जाएंगे.
वायु प्रदूषण के चलते बढ़ा इंफेक्शन का खतरा
राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 पर पहुंच गया है, जो "खतरनाक" श्रेणी में आता है, जबकि कई जगहों में यह 750 तक पहुंच गया है. दिल्ली एनसीआर में पिछले कुछ दिनों में लोग कान, नाक और गले में इंफेक्शन महसूस कर रहे हैं.
15 नवंबर तक वायु प्रदूषण से छुटकारा मिलना मुश्किल
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली पर वायु प्रदूषण का खतरा और बढ़ सकता है. 15 नवंबर तक इससे छुटकारा पाना मुश्किल है, क्योंकि इस दौरान सबसे ज्यादा पराली जलाई जाती है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खेत की आग से निकलने वाले धुएं ने शहर की हवा में छोटे PM 2.5 फेफड़ों को नुकसान 38 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकते हैं.