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Omicron Variant: कोरोना वायरस अब नये रुप में दुनिया को डरा रहा है. इस बार कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. नये वैरिएंट से संक्रमण के मामले अब भारत तक पहुंच चुके हैं. इससे बचाव को लेकर जागरुकता और सख्ती दोनो अपनाए जा रहे हैं. हम आपको बताने वाले हैं कि वायरस के लगतार बदलते स्वरूप को नाम देने का भला क्या तरीका है. कैसे नये वैरिएंट का नाम ओमिक्रॉन पड़ा और इसका मतलब क्या है.
WHO के अनुसार, कोरोना वायरस के नये वैरिएंट्स को आसान नॉन-साइंटिफिक नाम दिया जाना चाहिए ताकि दुनियाभर में लोग आसानी से इससे बचाव को लेकर जागरुकता फैला सकें. इसके लिए संगठन ने फैसला किया कि हर नये वैरिएंट का नाम, ग्रीक शब्दावली के एल्फाबेट के नाम पर रखा जाएगा. ग्रीक शब्दावली में अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा जैसे एल्फाबेट हैं जिनपर वायरस के वैरिएंट को नाम दिया जा रहा है.
भारत में पाए गए B.1.617.2 वैरिएंट को इसी आधार पर डेल्टा वायरस नाम दिया गया था. यह वायरस का चौथा वैरिएंट था. अब प्रकाश में आए B.1.1.529 वेरिएंट को ओमिक्रॉन नाम दिया गया है. यह असल में ग्रीक शब्दावली का 15वीं लेटर है. बीच के कुछ एल्फाबेट जैसे Nu तथा Xi को छोड़ दिया गया क्योंकि Nu को New (नया) तथा Xi को चीन का प्रचलित सरनेम समझा जा सकता था.
वायरस या वैरिएंट को नाम देते हुए यह ध्यान रखा जाता है कि यह किसी भी सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या जातीय समूहों के खिलाफ या अपमानजनक न हो. ओमिक्रॉन वैरिएंट को 24 नवंबर 2021 को इसका नाम दिया गया. इसके 50 से ज्यादा म्यूटेशन भी हैं. वायरस अब तक 57 देशों में पहुंच चुका है.