scorecardresearch
 

DU: अनाथ बच्चों को मिलेगा आरक्षण, फ्री में होगी पढ़ाई और हॉस्टल सुविधा

दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों और विभागों में अनाथ लड़के और लड़कियों के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर सभी कक्षाओं में एक-एक सीट आरक्षित होगी. पढ़ाई से लेकर हॉस्टल फीस तक माफ की जाएगी.

Advertisement
X
दिल्ली यूनिवर्सिटी में अनाथ बच्चों के लिए UG-PG कोर्स में आरक्षित सीटें होंगी
दिल्ली यूनिवर्सिटी में अनाथ बच्चों के लिए UG-PG कोर्स में आरक्षित सीटें होंगी

DU Admission: अनाथ बच्चों के लिए बिना खर्च के उच्च शिक्षा के द्वार खोलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने अपने शताब्दी वर्ष में अहम निर्णय लिया है. विश्वविद्यालय की सभी कक्षाओं में अनाथ बच्चों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया है. इससे हर साल उन हजारों अनाथ बच्चों को उच्च शिक्षा का मौका मिल सकेगा जो आर्थिक अभाव में चाह कर भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते. यह फैसला कार्यकारी परिषद की बैठक में लिया गया है.

UG-PG कोर्स में होंगी आरक्षित सीटें
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.योगेश सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों और विभागों में अनाथ लड़के और लड़कियों के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर सभी कक्षाओं में एक-एक सीट आरक्षित होगी. कुलपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय समाज के हर तबके को उच्च शिक्षा प्रदान करने के महत्व को समझता है, इनमें वे विद्यार्थी भी शामिल हैं जिन्होंने दुर्भाग्यवश अपने माता-पिता को खो दिया है और अनाथ हो गए हैं. विश्वविद्यालय की यह सामाजिक जिम्मेदारी है कि ऐसे विद्यार्थियों की सहायता करें. इसी जिम्मेदारी को समझते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर अध्ययन के प्रत्येक कार्यक्रम में अनाथ विद्यार्थियों (पुरुष और महिला) के लिए एक-एक अतिरिक्त सीट सृजित करने पर विचार किया गया है.

Advertisement

हॉस्टल और पढ़ाई की पूरी फीस माफ
उन्होने बताया कि आरक्षित सीटों पर दाखिला पाने वाले बच्चों की पढ़ाई और हॉस्टल फीस आदि पूरी तरह से माफ होगी. कुलपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए किसी भी आधार पर बिना किसी भेदभाव के शिक्षा के प्रति उत्तरदायी रहा है. उन्होने इस योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे विद्यार्थियों को हर प्रकार के शुल्क के भुगतान से छूट दी जाएगी जिसमें उनके छात्रावास शुल्क, परीक्षा शुल्क और अन्य अनिवार्य शुल्क के भुगतान से छूट भी शामिल होगी. 

बता दें कि इस योजना के तहत प्रवेश हेतु विचारणीय विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के स्नातक या स्नातकोत्तर प्रवेश के प्रासंगिक सभी प्रावधानों का पालन करना होगा. विश्वविद्यालय या इसके महाविद्यालयों में ऐसे विद्यार्थियों के प्रवेश और अध्ययन को जारी रखने के लिए किया गया खर्च विश्वविद्यालय कल्याण कोष या महाविद्यालय छात्र कल्याण कोष से पूरा किया जाएगा. कुलपति ने कहा कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिकल्पित वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत जीईआर की उपलब्धि की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगी और विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में मौजूदा प्रयासों को अपनी संस्थागत सामाजिक जिम्मेदारी (आईएसआर) से जोड़ेगी.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement