scorecardresearch
 

पटवारी परीक्षा: आधार कार्ड में गड़बड़ी, फिंगर प्रिंट से छेड़छाड़... पुलिस को पहले ही मिल गई थी साजिश की सूचना

पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोप में अरेस्ट दो आरोपियों को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. क्राइम ब्रांच ने दोनों को परीक्षा से पांच दिल पहले ही अरेस्ट कर लिया था. पुलिस का कहना था कि दोनों ही परीक्षा प्रभावित करने वाले थे. हालांकि अब सवाल उठ रहा था कि जब पुलिस को साजिश की जानकारी थी तो उसने कार्रवाई करने में इतनी देर क्यों कर दी?

Advertisement
X
एमपी पटवारी परीक्षा में बड़े पैमाने पर हुई धांधली (फाइल फोटो)
एमपी पटवारी परीक्षा में बड़े पैमाने पर हुई धांधली (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली के हर दिन नए मामले सामने आ रहे हैं. ग्वालियर से लेकर भोपाल तक इस मामले के तार जुड़े बताए जा रहे हैं. ग्वालियर से ही मंगलवार को एक और मामला उजागर हुआ है, इसमें बताया गया कि एमपी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने परीक्षा होने से पांच दिन पहले कुछ खुफिया सूचनाएं जुटाई थीं. इन सूचनाओं के आधार पर एक मामला दर्ज किया गया था. इसमें दो अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए गए. ये दोनों अभ्यर्थी पटवारी परीक्षा में शामिल होने वाले थे. इन पर आरोप है कि दोनों परीक्षा में गड़बड़ी करने की साजिश करने वाले थे. इसके लिए दोनों अभ्यर्थी ऑफसेट प्रिंटिंग के आधार पर कुछ सबूत जुटा रहे थे. इस पूरे मामले पर क्राइम ब्रांच ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दो छात्रों को ग्वालियर के थाटीपुर इलाके से गिरफ्तार किया. 

Advertisement

इसके बाद दोनों छात्रों से पूछताछ की गई, फिर दस अप्रैल को पटवारी परीक्षा हुई, जिसमें ये दोनों छात्र परीक्षा देने से वंचित रह गए क्योंकि ये पुलिस की हिरासत में थे. इसके बाद मामला हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में पहुंचा. दो छात्रों को जमानत पर दस जून को रिहा कर दिया गया.

पुलिस और सरकार ने अभी तक नहीं दिया जवाब

इस पूरे मामले में छात्रों की पैरवी करने वाले वकील एमपी सिंह हैं, जिन्होंने 'किसान तक' से बातचीत में बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज होने और जांच शुरू होने के बीच बहुत समय लगा. इसके बाद ग्वालियर में जिस तरह से ये मामला पकड़ में आया है, उसे सरकार ने रोक तो लिया, लेकिन बाकी शहरों में भी क्या इस तरह के मामले पकड़ में आने की आशंका नहीं थी? इस सवाल पर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है. इस मामले में न पुलिस ने और न ही सरकार ने अभी कोई प्रतिक्रिया दी है. 

Advertisement

वकील ने कहा कि इस मामले में सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब इस तरह की घटना सामने आई हुई, तो सरकार ने क्या कोई कार्यवाही की थी? मामला कोर्ट तक पहुंचा और उन दो छात्रों को जमानत पर रिहा भी कर दिया गया, जिन पर गड़बड़ी के आरोप लगे थे. सरकार और पुलिस पूरी तरह से इस मामले में चुप हैं. अभी किसी ने अपनी तरफ से कोई सूचना या तथ्यों को उजागर नहीं किया है. 

मामले में अभी बहुत कुछ उजागर होना बाकी

वकील एमपी सिंह ने कहा कि इस मामले में जांच जारी है और परीक्षा भी हो गई है. जो छात्र परीक्षा में चुने गए हैं उनके ऊपर तमाम तरह की उंगलियां उठाई जा रही हैं. इससे छात्रों को अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है. इंसाफ की मांग में छात्र सड़कों पर उतरे हुए हैं. अभी इस मामले में बहुत कुछ उजागर होना बाकी है.

पुलिस ने जिन दो लोगों से पूछताछ की थी, उन्होंने बताया था कि पटवारी परीक्षा में वास्तविक परीक्षार्थियों की जगह पर सॉल्वर बैठाने वाले थे. इसके लिए आधार जैसे कागजातों में भी छेड़छाड़ कर रहे थे. आरोपियों ने बताया कि आधार कार्ड में दर्ज अंगुली के निशान को वे सॉल्वर के मुताबिक बदलने वाले थे, लेकिन ऐन वक्त पर पुलिस ने धावा बोल दिया. 

Advertisement

थाना अपराध शाखा ग्वालियर में उपनिरीक्षक के पद पर तैनात शिशिर तिवारी की ओर से दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि पूरे मामले की जांच के दौरान मनीष शर्मा और वीरभान बंसल के साथ अन्य अभियुक्त रिंकू रावत, कृष्णवीर जाट और संदीप सिंह अपराध में लिप्त पाए गए. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ की. पूछताछ में और भी कई जानकारी सामने आई.

(किसान तक रिपोर्टर: निर्मल यादव)

 

Live TV

Advertisement
Advertisement