कई लोगों में पढ़ने-लिखने का काफी शौक होता है. उसमें से कुछ लोग लेखक भी बनना चाहते हैं, लेकिन उचित प्लेटफॉर्म नहीं मिलने की वजह से उनकी यह हसरत पूरी नहीं हो पाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक योजना लॉन्च की है, जिसमें यदि आपकी उम्र 30 वर्ष से कम है तो हिस्सा ले सकते हैं. केंद्र सरकार की इस योजना का नाम YUVA है. इसके जरिए से युवा लेखकों को लेखन के जरिए से भारतीय विरासत और इतिहास को बढ़ावा देना होगा. इस योजना के तहत चयनित लेखकों को 50 हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में ट्वीट करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए 30 साल से कम उम्र के लेखकों का एक समूह बनाना है. यह योजना युवाओं को लेखन के जरिए से देश के बौद्धिक डिसकोर्स में योगदान देने के लिए एक दिलचस्प अवसर देती है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर एक लिंक भी शेयर किया है, जिसमें योजना के बारे में पूरी जानकारी है. कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 युवाओं को सशक्त बनाने और सीखने वाला इकोसिस्टम बनाने पर जोर देती है, जिससे वे भविष्य की नेतृत्व भूमिकाओं के लिए तैयार हो सकें.
इस योजना के बारे में सरकार के ट्विटर अकाउंट 'मायजीओवीहिंदी' ने बताया है कि योजना के अंतर्गत 75 चयनित लेखकों को 50 हजार रुपये महीने की छात्रवृत्ति दी जाएगी. ट्वीट में कहा गया है, ''क्या आप एक लोकप्रिय लेखक बनना चाहते हैं? नवोदित लेखकों को परामर्श व प्रशिक्षण हेतु प्रधानमंत्री की YUVA योजना से जुड़ें. 75 चयनित लेखकों को 50,000 रुपये /माह की छात्रवृत्ति मिलेगी. अधिक जानकारी के लिए यहां विजिट करें.
क्या आप एक लोकप्रिय लेखक बनना चाहते हैं? नवोदित लेखकों को परामर्श व प्रशिक्षण हेतु प्रधानमंत्री की YUVA योजना से जुडें! 75 चयनित लेखकों को ₹50,000/माह की छात्रवृत्ति मिलेगी! अधिक जानकारी के लिए विजिट करें: https://t.co/ciHnZFvuDf pic.twitter.com/tHIsmacxte
— MyGovHindi (@MyGovHindi) June 8, 2021
बता दें कि योजना के तहत, ऐसे लेखकों का एक पूल बनाया जाएगा, जिनकी उम्र 30 साल से कम है और वे भारतीय संस्कृति, साहित्य को विश्वस्तर पर रखने को तैयार हैं. इससे देश के बाहर अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भारतीय संस्कृति और साहित्य के बारे में बाकी लोगों को जानकारी मिल सकेगी.
योजना में बताया गया है कि देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करने की दिशा की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में यह योजना भारतीय साहित्य के आधुनिक राजदूतों को विकसित करने की कल्पना करती है. पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में हमारा देश तीसरे स्थान पर है और स्वदेशी साहित्य के इस खजाने को और बढ़ावा देने के लिए, यह जरूरी है कि हम इसे वैश्विक स्तर पर पेश करें.