आईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर टीजी सीताराम को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है. वह यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार से पदभार ग्रहण करेंगे और तीन साल की अवधि के लिए इस पद पर रहेंगे.
अनिल सहस्रबुद्धे के 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने के बाद कुमार ने एआईसीटीई के अध्यक्ष के रूप में अंतरिम प्रभार संभाला था. शिक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) अधिनियम 1987 के द्वारा प्रो. टीजी सीताराम जो इससे पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी के निदेशक थे, उन्हें स्तर -17 में एआईसीटीई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करती है.
प्रोफेसर टीजी सीताराम कौन हैं?
प्रोफेसर टीजी सीताराम का शानदार अकादमिक करियर रहा है. उन्होंने जुलाई 2019 में IIT गुवाहाटी के निदेशक के रूप में पदभार संभाला था. वो साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) के सदस्य भी हैं और आईआईएससी बैंगलोर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर हैं. उन्होंने आईआईएससी में 27 से अधिक वर्षों तक सेवा की है.
वह सीएसआईआर-सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की) के पूर्व शोध परिषद अध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा, मई 2021 से, वह केंद्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कोकराझार, असम के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) का पद संभाल रहे हैं.
एजुकेशन और वर्क
टीजी सीताराम ने मैसूर विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद आईआईएससी से सिविल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की. उन्होंने वाटरलू विश्वविद्यालय, वाटरलू, ओंटारियो, कनाडा (1991) से सिविल इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त की.
अपनी पीएचडी के तुरंत बाद, उन्होंने वाटरलू विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में काम किया और फिर टेक्सास विश्वविद्यालय के पृथ्वी विज्ञान और इंजीनियरिंग केंद्र से डॉक्टरेट के बाद की पढ़ाई की. उन्होंने जापान, कनाडा, चीन गणराज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया के देशों में कई विश्वविद्यालयों में मानद प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया है.
मिले हैं ये खास अवार्ड
प्रोफेसर टीजी सीताराम को कई पुरस्कारों के नवाजा जा चुका है, इनमें से खास ये हैं - एसपी रिसर्च अवार्ड (सार्क) (1998); युवा वैज्ञानिकों के लिए सर सीवी रमन राज्य पुरस्कार, कर्नाटक सरकार (2002); प्रोफेसर गोपाल रंजन रिसर्च अवार्ड (2014); अमूल्य और विमला रेड्डी व्याख्यान पुरस्कार (2014); और IGS Kueckelmann अवार्ड (2015) भी मिला है.