अब तक दिल्ली के 2953 पेरेंट्स की ओर से कोरोना काल में बढ़ी स्कूली फ़ीस सम्बंधित विरोध पत्र दिल्ली के अरविंद केजरीवाल और उप राज्यपाल को भेजा गया है. अभिभावकों ने सरकार से पेरेंट्स की आवाज़ और उनका पक्ष सुनने और पेरेंट्स व बच्चों पर लगातार हो रहे अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए ये अनुरोध पत्र लिखा है.
पत्र में अभिभावकों ने लिखा है कि स्कूलों की तरफ से दिल्ली के पेरेंट्स को एक आर्डर मिला है. इसके तहत ट्यूशन फीस, एनुअल फीस और डेवलपमेंट फीस 15% की कटौती के साथ पिछले साल 2020 -21 की बकाया (एरियर) के रूप में और 2021-22 की इन सभी उक्त मदों की फीस जमा करवानी है. स्कूल के इस कदम के चलते मध्यम वर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ आ गया है.
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (DPA) की ओर से चलाई गई मुहिम में पेरेंट्स को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था. जिससे वो भी सरकार और सिस्टम तक अपनी आवाज़ पंहुचा सकें. इसमें कुछ ही घंटों में लगभग 3000 पेरेंट्स ने गूगल फॉर्म भरकर विरोध प्रकट किया है. इस गूगल फॉर्म/ सिग्नेचर कैम्पेन की मुहिम के अंतर्गत लगभग 3000 पेरेंट्स ने हिस्सा लिया.
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की प्रेसीडेंट अपराजिता गौतम ने बताया कि अब तक मिले फॉर्म से पता चलता है कि 90% पेरेंट्स ये मानते हैं कि दिल्ली शिक्षा विभाग द्वारा सरकार, विभाग व पेरेंट्स के पक्ष को दिल्ली हाईकोर्ट में ठोस दलीलों के साथ अच्छे से नहीं रखा गया था. परिणामस्वरूप आज पेरेंट्स के ऊपर स्कूलों को उन मदों में भी फीस की भरपाई करनी पड़ रही है जिसकी सुविधाएं स्कूल द्वारा इस कोरोना काल में नहीं दी गईं.
कुल आंकड़ों में से 98% पेरेंट्स ये मानते हैं कि दिल्ली शिक्षा विभाग द्वारा जारी 1 जुलाई 2021 का ऑर्डर जिसके तहत आज पेरेंट्स को 15% की कटौती के साथ पिछले साल 2020 -21 की ट्यूशन फीस के अतिरिक्त एनुअल और डेवलेपमेंट फीस जमा करवानी है, पूर्णतया पेरेंट्स और बच्चों की अधिकारों के विरुद्ध हैं, इसके पीछे पेरेंट्स की बहुत सी दलीलें हैं.
दिल्ली पेरेंट्स ऐसोसिएशन (DPA)का दावा है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले 98% पेरेंट्स आज दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी 1 जुलाई 2021 के आर्डर के पूर्णतया विरोध में हैं. दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले सभी पेरेंट्स की ओर से अनुरोध करते हैं कि कृपया दिल्ली के पेरेंट्स की आवाज़ और उनका पक्ष भी सुने और पेरेंट्स व बच्चों पर आर्थिक रूप से लगातार हो रहे अत्याचारों से मुक्ति दिलवाएं.