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इतिहास के पन्नों में दर्ज एक महान शासक के धर्म और पहचान को लेकर फिर से तीखी टिप्पणियों का दौर शुरू हो गया है. बात हो रही है चोल वंश के महान शासक राजाराज चोल की. राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित तमिल निर्देशक वेटरीमारन (Vetrimaaran) ने कहा है कि राजाराज चोल हिंदू राजा नहीं थे. हिंदी और दक्षिण की फिल्मों के मशहूर अभिनेता कमल हासन ने भी वेटरीमारन की बात का समर्थन किया है. सोशल मीडिया पर ये बहस इतनी चली कि लोग Raja raja chola religion गूगल पर सर्च करने लगे.
राजाराज चोल को लेकर ये विवाद शुरू हुआ फिल्म 'पोन्नियन सेल्वन' के रिलीज होने के बाद. 30 सितंबर को रिलीज हुई पोन्नियिन सेल्वन फिल्म में चोल साम्राज्य की नौसैनिक शक्ति और इसके साम्राज्य विस्तार को दिखाया गया है. फिल्म में चोल वंश के राजा पोन्नियन सेल्वन की जिंदगी को दिखाया गया है. इसी फिल्म में राजाराज चोल की चर्चा होती है. राजाराज चोल प्रथम इस साम्राज्य के सबसे प्रतापी राजाओं में से थे. फिल्म में अभिनेत्री ऐश्वर्या राय भी हैं.
कहां और कब हुई चोल साम्राज्य की स्थापना?
चोल साम्राज्य का इतिहास 1000 साल से भी पुराना है. ये साम्राज्य भारत के सुदूर दक्षिण में कावेरी नदी के तट पर पनपा और विकसित हुआ. तिरुचिरापल्ली इस साम्राज्य की राजधानी थी. दक्षिण भारत में भव्य और विशाल मंदिरों को निर्माण करने का श्रेय प्राप्त करने वाले चोल राजाओं को कमल हासन और वेटरीमारन आखिर हिन्दू क्यों नहीं मानते? उनका तर्क जानने से पहले जानते हैं कि चोल राजवंश की स्थापना कब, कहां और किसने की?
NCERT की किताबों में दर्ज इतिहास के मुताबिक कावेरी डेल्टा में मुट्टिरयार नाम से प्रसिद्ध एक छोटे से परिवार की सत्ता थी. ये परिवार कांचीपुरम के पल्लव राजाओं के अधीन था. इसी दौरान 849 ईस्वी में चोलवंश के सरदार विजयालय ने इन मुट्टिरयारों को हरा कर इस डेल्टा पर कब्जा जमाया और चोल वंश की स्थापना की. विजयालय ने तंजावूर शहर को बसाया और निशुम्भसूदिनी देवी का मंदिर बनाया.
विजयालय के उत्तराधिकारी काफी योग्य निकले. उन्होंने पड़ोसी इलाकों को जीता और अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया. दक्षिण और उत्तर के पांड्यन और पल्लव इस राज्य का हिस्सा बन गए. 985 ईस्वी में राजाराज चोल प्रथम इस साम्राज्य का शासक बने और चोल राजवंश की प्रतिष्ठा में कई गुना बढ़ोतरी कर दी.
राजाराज के मंदिर स्थापत्य कला के चमत्कार
राजाराज और उनके पुत्र राजेंद्र प्रथम ने तंजापूर और गंगईकोंडचोलपुरम में जो विशाल मंदिर बनवाए हैं उसे स्थापत्य और मूर्ति कला की दृष्टि से चमत्कार कहा जाता है. राजाराज को तमिल संस्कृति में काफी महान माना जाता है. 985-1014 तक चले राजाराज चोल के साम्राज्य का विस्तार दक्षिण में आधुनिक श्रीलंका से लेकर उत्तर में ओडिशा से लेकर मालदीव तक था.
चोल राज्य के संरक्षण में बनी कांस्य प्रतिमाएं दुनिया की बेहतरीन कलाकृतियों में गिनी जाती हैं, इनमें से ज्यादातर देवी-देवताओं और अराध्यों की होती हैं. इस काल में मंदिर सिर्फ आस्था और भक्ति का नहीं बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का केंद्र थे. इस राजवंश ने आधुनिक तमिलनाडु की जीवन रेखा ही बदल कर रख दी. बृहदेश्वर मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर भी चोल राजाओं ने बनवाया. इन मंदिरों ने द्रविड़ वास्तुकला को ऊंचाइयों पर पहुंचाया. चोल वंश के राजाओं ने दक्षिण भारत पर लगभग 500 सालों तक शासन किया.
कमल हासन राजाराज को हिंदू क्यों नहीं मानते?
मंदिर, मूर्तियों के अतुल्य निर्माण के बावजूद कमल हासन राजा राज को हिंदू धर्म का नहीं मानते. इसका तर्क देते हुए उन्होंने कहा, "राजा राज चोल के काल में 'हिंदू धर्म' नाम की कोई चीज थी ही नहीं. उस समय वैष्णव, शैव थे, और यह अंग्रेज थे जिन्होंने 'हिंदू' शब्द गढ़ा क्योंकि वे नहीं जानते थे कि इसे सामूहिक रूप से कैसे व्यक्त किया जाए. यह उसी तरह है जैसे उन्होंने थुथुकुडी को तूतीकोरिन में बदल दिया. कमल हासन ने कहा कि आठवीं सदी में कई धर्म और आस्थाएं लोगों के बीच पनप रही थीं.
कमल हासन ने हाल ही में कलाकारों और क्रू के साथ फिल्म पोन्नियिन सेल्वन देखी. उन्होंने कहा कि यह इतिहास पर आधारित एक कथा का जश्न मनाने का क्षण है. उन्होंने कहा कि इतिहास को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें और न ही इसमें भाषा के मुद्दे को शामिल करें.
निर्देशक वेटरीमारन ने भी कहा था कि लगातार हमारे प्रतीक हमसे छीने जा रहे हैं. तिरुवल्लुवर का भगवाकरण करना या राजाराज चोल को हिंदू राजा कहना इसी का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि सिनेमा आम आदमी के लिए है. इसलिए पीछे की राजनीति को समझना जरूरी है.