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राजस्थान: 'फर्जी SI' पत्नी के बाद पटवारी भर्ती मामले में सरगना हर्षवर्धन भी बर्खास्त, अब तक 86 कर्मियों को हटाया

राजस्थान में पटवारी हर्षवर्धन पर जूनियर इंजीनियर (जेईएन) भर्ती परीक्षा 2020 में अनियमितता का आरोप था, जिसके बाद उसे एसाईटी नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले हर्षवर्धन की पत्नी सरिता मीणा को भी SI भर्ती डमी कैंडिडेंट मामले में बर्खास्त किया गया था.

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राजस्थान पटवारी भर्ती मामले में सरगना हर्षवर्धन और उसकी पत्नी सरिता मीणा की तस्वीर
राजस्थान पटवारी भर्ती मामले में सरगना हर्षवर्धन और उसकी पत्नी सरिता मीणा की तस्वीर

पेपर लीक मामलों में जीरो टोलरेंस नीति को लेकर राजस्थान सरकार एक्शन में है. पुलिस और प्रशासन द्वारा पेपर लीक मामलों में लगातार बड़ी कार्रवाई की जा रही है और इसमें शामिल राज्यकर्मियों को भी बर्खास्त किया जा रहा है. राजस्थान सरकार ने पटवारी भर्ती मामले में दौसा के सरगना एवं पटवारी हर्षवर्धन को राज्य सेवा से बर्खास्त कर दिया है. दौसा कलेक्टर ने इस मामले में पटवारी हर्षवर्धन को बर्खास्त करने का आदेश दिया.

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हर्षवर्धन पर जूनियर इंजीनियर (जेईएन) भर्ती परीक्षा 2020 में अनियमितता का आरोप था, जिसके बाद उसे एसाईटी नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले हर्षवर्धन की पत्नी सरिता मीणा को तत्कालीन भीलवाड़ा कलक्टर नमित मेहता ने बर्खास्त किया था. सरिता पर राजस्थान पुलिस सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 में खुद की जगह डमी कैंडिडेट से पेपर लिखवाकर परीक्षा पास करने का आरोप था.

पुलिस और प्रशासन इस भर्ती घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ लगातार कदम उठा रहे हैं. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) वीके सिंह ने बताया कि एसआई भर्ती परीक्षा से जुड़े 45 कर्मचारियों सहित अब तक कुल 86 राज्यकर्मियों को सेवा से हटाया जा चुका है. इसके अलावा, 189 अन्य सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है.

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब पटवारी भर्ती और अन्य परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर नकल और अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं. जांच में पता चला कि कई अभ्यर्थियों ने डमी उम्मीदवारों और गैरकानूनी तरीकों से परीक्षा पास की थी. हर्षवर्धन और सरिता जैसे कर्मचारी इस रैकेट के प्रमुख संचालकों में शामिल थे. राज्य सरकार ने इस घोटाले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है.

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अधिकारियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. इस घटना ने सरकारी नौकरियों में भर्ती की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं. जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े को जड़ से खत्म किया जा सके. युवा भी सरकार से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस नीति की मांग कर रही है.

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