scorecardresearch
 

'विद्या की देवी मां सरस्वती नहीं, सावित्रीबाई फुले हैं', प्रिंसिपल की बात सुन भड़के लोग, Video Viral

राजस्थान के बारां जिले के सरकारी शिक्षा मंदिर में मां सरस्वती की तस्वीर का अनादर करने का मामला सामने आया है. स्कूल की अध्यापिका ने कहा है कि विद्या की देवी सरस्वती नहीं है, विद्या की देवी तो सावित्रीबाई फुले हैं. उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

Advertisement
X
Republic Day 2024
Republic Day 2024

राजस्थान में बारां जिले के एक सरकारी शिक्षा मंदिर में मां सरस्वती के अनादर करने का मामला सामने आया है. गणतंत्र दिवस पर अध्यापिका ने स्कूल में मां सरस्वती की तस्वीर लगाने से मना कर दिया था. ग्रामीण अध्यापिका की इस बात का जमकर विरोध कर रहे हैं साथ उनकी मांग है कि टीचर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. यह घटना बारां के किशनगंज क्षेत्र के एक राजकीय विद्यालय की बताई जा रही है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

Advertisement

गांव वालों ने किया अध्यापिका का विरोध

कोटा संभाग के बारां जिले किशनगंज क्षेत्र के लकड़ाई गांव स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण तथा स्कूल की अध्यापिका से तीखी नोकझोंक हुई है. मामला इस बात को लेकर गरमा गया कि वहां पर लगाई गई तस्वीरों में सरस्वती माता की तस्वीर नहीं लगाई गई थी, जिसका पहले तो कुछ अध्यापकों ने ही विरोध किया है. अध्यापिका ने किसी की नहीं चलने दी तो ग्रामीणों ने आकर तस्वीर रखने को कहा. जिस पर अध्यापिका ने कहा कि विद्या की देवी सरस्वती नहीं है, विद्या की देवी तो सावित्रीबाई फुले हैं. इसलिए उनकी तस्वीर रखी गई है. काफी बहसबाजी के बाद गांव के सरपंच और भाजपा पदाधिकारीयो ने उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया है.

शिक्षा मंत्री ने कही ये बात

Advertisement

इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी पीयूष शर्मा ने कहा कि कल इस तरह के मामले की शिकायत मिली थी, सोमवार को संपूर्ण मामले की कमेटी द्वारा जांच करवाई जाकर कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा- इस विषय की जानकारी मुझे नहीं है, हम इस मामले में सत्यता की जांच करवाएंगे, सत्यता होगी तो, जो न्यायोचित होगा वह करेंगे.

सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों के लिए खोला था पहला स्कूल

बता दें कि सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. लड़कियों के जीवन और समाज सुधार में सावित्रीबाई फुले का योगदान हमेशा याद किया जाता है. सावित्री बाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले. उन्होंने साल 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी. वहीं, 18वां स्कूल भी पुणे में ही खोला गया था.

Live TV

Advertisement
Advertisement