कोरोना ने कई तरह से दुनिया को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है. फिर चाहे वो पॉलिसी के लेवल पर हो या पब्लिक बिहेवियर या हेल्थकेयर सिस्टम के लेवल पर, सबकुछ बहुत बदला है. यह बदलाव आगे आने वाले समय में और भी परिवर्तन लेकर आएगा. बुधवार को Reader’s Digest Health Summit 2021 में लिव विद कोविड विषय पर बोलते हुए एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने अपनी राय रखी.
डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि बीते कई सालों में तमाम वायरस लोगों पर हमला कर चुके हैं. 1995 में बर्ड फ्लू ने दस्तक दी, जिसकी मृत्युदर 60 प्रतिशत थी, लेकिन इस पर काबू पाया गया. इसके बाद इबोला, जीका, सार्स, एचवन एनवन जैसे वायरस भी आए.
डॉ गुलेरिया ने कहा कि अब सबसे बड़ा चैलेंज ये है कि कैसे हमें इसी वायरस के साथ रहना है. अभी हम इसे जाते नहीं देख रहे हैं, यह रहेगा. हमें इस वायरल इनफेक्शन के साथ रहना होगा. हम जिस तरह वैक्सीनेशन और इम्यूनिटी डवेलप कर रहे हैं. उससे ये अंदाजा जरूर लगा सकते हैं कि आने वाले दिनों में ये पेनडेमिक से एंडेमिक बन जाएगा.
हेल्थ के लिए जागरूक हुए हैं लोग
इस वायरस के आने के बाद लोगों में बिहेवरियल चेंज आया है. इसमें लोगों में प्रिंवेंशन सबसे खास हो गया है. डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कैंसर जैसी नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज पहले से है. लेकिन पैनडेमिक से जैसे पूरी दुनिया एक हो गई है. इसने सबको पूरी तरह बदल दिया है, अब लोग हेल्थ को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं.
जैसे आज मास्क और अन्य फीचर्स आम जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं. लाइफस्टाइल को लेकर इस पूरे डेढ़ साल में लोग बहुत जागरूक हो गए हैं. अब हमें हेल्थ केयर को और समग्र तरीके से लेना होगा. अभी टेक्नोलॉजी लेवल पर हम उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ रहे हैं. अब हमें ध्यान रखना होगा कि टेलीहेल्थ वैसे ही होनी चाहिए जैसे कोविड की सेकेंड वेव के दौर में रहे. टेलि कम्यूनिकेशन की प्रोसेस आने वाले समय में बहुत कॉमन होती जाएगी.
इकोनॉमी में भी बढ़ेगा हेल्थ का महत्व
इसके साथ साथ इकोनॉमी में भी हेल्थ का महत्व बढ़ेगा. पहले हेल्थ केयर पॉलिसी लेवल पर सेंटर स्टेज में नहीं रहा, इसमें बहुत इनवेस्ट मेंट नहीं था. अब रूरल और छोटे शहरों तक बढ़ती जरूरतों को देखते हुए पब्लिक हेल्थ का महत्व बढ़ गया है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आईसीयू, ऑक्सीजन बेड और ड्रग की कमी ने दिखा दिया है कि किस तरह हमें हेल्थकेयर पर जोर देना है. साल 2018 में भी यह आवाज उठी थी कि 100 साल पहले पैनडेमिक की दस्तक के बावजूद हम तैयार नहीं है.
ग्लोबल तौर पर तैयारी करनी होगी
अब हमें यह देखना होगा कि कैसे संक्रमण एक जगह से दूसरी जगह फैलता है. साल 2013-14 में इबोला अफ्रीका में फैला था, भारत में मरीज आया जिसे ठीक किया गया. लेकिन हमें यह देखना होगा कि ग्लोबल सविर्लांस, कम्यूनिकेशन और रीसर्च ही प्लेनेट हेल्थ को सही रख सकती है. अगर पब्लिक पॉलिसी की बात करें तो इसे भी ग्लोबल प्लान के साथ देखना होगा. जहां एक तरफ दुनिया के पांच देश प्री ऑर्डड वैक्सीन आर्डर कर दी. वहीं अफ्रीका में ये बहुत धीमे है. अगर तेजी नहीं लाई गई तो यह म्यूटेशन ग्लेबाल तरीके से फैलता रहेगा . अगर ग्लोबल तरीके से प्लान नहीं किया गया तो इंफेक्शन ट्रैवल के रास्ते फैलता रहेगा.
हेल्थ समिट में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट व हृदय रोग विशेषज्ञ व कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रो के श्रीनाथ रेड्डी, मैक्स सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ संदीप बुद्धिराजा और पीएनबी मेटलाइफ के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे.