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Russia-Ukraine Crisis: कीव के बंकर में बैठे भारतीय छात्रों की एंबेसी से गुहार, घर जाने के लिए बॉर्डर तक पहुंचा दे सरकार

Indian Students in Ukraine Bunkers: यूक्रेन के बंकर में रह रहे भारतीय छात्रों ने एंबेसी से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि हमें खतरनाक इलाकों से निकालकर सुरक्षित बॉर्डर तक पहुंचा दिया जाए, जिससे हम अपने घर जा सकें.

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indian students in ukraine bunker
indian students in ukraine bunker
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूक्रेन-रूस के बीच थम नहीं रही जंग
  • यूक्रेन में फंसे भारत के मेडिकल छात्र
  • दहशत से सहमे छात्रों की एंबेसी से गुहार

Indian Student in Ukraine: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तनावपूर्ण हालात में अब भी काफी संख्या में भारतीय छात्र (Indian Students in Ukraine) मुश्किल हालात में फंसे हुए हैं. भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए सरकार की ओर से अभियान चलाया गया लेकिन कई भारतीय मेडिकल छात्र अभी अपने घर वापसी के इंतजार में हैं.

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कड़ाके की ठंड के बीच कीव (Kyiv) बंकर में बैठे मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन में रह रहे भारतीय छात्रों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील है कि एंबेसी की मदद से उन्हें बॉर्डर तक सुरक्षित पहुंचा दिया जाए जिससे वह अपने घर पहुंच सकें. 

कीव में फंसी बिहार के मोतिहारी की रहने वाली मेडिकल छात्रा (MBBS 4th Year) वैष्णवी सिंह ने aajtak.in से फोन पर बताया कि हम भारतीय स्‍टूडेंट्स डर और दहशत में बंकर में रह रहे हैं. हालांकि, भारत सरकार ने भारतीय छात्रों को एयर इंडिया की फ्लाइट्स से वापस बुलाया है लेकिन इसके लिए पहले बॉर्डर पार करना होगा और इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

वैष्णवी ने बताया कि जो भारतीय छात्र इंडिया पहुंचे हैं वो बॉर्डर के करीब थे. हमें भी एंबेसी की तरफ से कहा गया है कि विंड शील्ड पर झंडा लगाकर बॉर्डर तक ट्रेवल कर सकते हैं लेकिन डर की वजह से ऐसा करना हमारे लिए संभव नहीं है. उन्होंने एंबेसी से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि हमें खतरनाक इलाकों से निकालकर सुरक्षित बॉर्डर तक पहुंचा दिया जाए, जिससे हम अपने घर जा सकें.

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खाने का सामान खत्म लेकिन मिल रही लोकल मदद

कीव के बंकर में रह रहे भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स ने बताया, सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि सायरन बजने पर बाहर बिल्कुल ना निकलें. 24 फरवरी को जब कीव (Kyiv) के एक रिहायशी इलाके में हमला हुआ था तब से वह खौफ के साय में हैं. वैष्णवी ने खास बातचीत में बताया कि हमारे पास कैश है लेकिन कुछ सामान लेने के लिए बाहर नहीं निकल रहे हैं. जो भी सूखा खाना जैसे बिस्कुट, चॉकलेट, ब्रेड, जूस हमारे पास था वो भी अब खत्म हो गया है लेकिन यहां के लोकल लोग मदद कर रहे हैं. वहां रहने वाले लोगों से भारतीय छात्रों को सूप और खाने की मदद मिल रही है.

छात्रों का बॉर्डर तक पहुंचना मुश्किल

वैष्णवी सिंह ने कहा कि इंडियन एंबेसी ने अभी तक यह नहीं बताया कि उन्हें कब तक बॉर्डर पहुंचाया जाएगा. सरकार पर भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन में युद्ध वाले इलाकों में फंसे भारतीय छात्रों को बॉर्डर तक पहुंचाने में एंबेसी उनकी मदद करे. साथ ही वैष्णवी ने यह भी बताया कि कीव (Kyiv) को वेस्टर्न बॉर्डर से जोड़ने वाला पुल भी टूट गया है, जिसकी वजह से वह खुद बॉर्डर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.

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वैष्णवी ने बताया कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के सैनिकों के बीच हुई गोलीबारी और हवाई हमलों की आवाज सुनी है, लेकिन हम सुरक्षित हैं. उनका कहना है कि अपने माता-पिता तक पहुंचने के लिए एंबेसी बस हमें बॉर्डर तक पहुंचा दें. 

कीव के तीन मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी (Bogomolets National Medical University, Kyiv Medical University, Taras Shevchenko National University) में पढ़ने वाले छात्रों के अलावा खारकीव की यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय छात्र भी वतन वापसी का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि खारकीव यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है जिसकी आबादी 14 लाख के करीब है. खारकीव यूनिवर्सिटी (Kharkiv University Indian Students) में पढ़ने वाले भारतीय छात्र अपने हॉस्टल के बेसमेंट में दुबके हुए हैं.

इससे पहले भी यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने वीडियो के जरिए सरकार से गुहार लगाई थी कि उन्हें किसी भी तरह यहां से निकाल लिया जाए. हालांकि, यूक्रेन से भारतीय छात्रों की वापसी शुरू हो गई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इन छात्रों को भी जल्द निकाल लिया जाएगा.

बता दें कि यूक्रेन में भारत के राजदूत पार्थ सत्पथी ने भारतीय छात्रों को आश्वासन देते हुए कहा था कि भारत सरकार यूक्रेन से सभी भारतीय नागरिकों को बाहर निकालेगी. यूक्रेन के कीव में बंकर पर आश्रित अधिकतर छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. इनमें से कई छात्रों ने वीडियो भेजकर भारत सरकार से मदद की अपील की है.

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